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Written By WD Feature Desk

हिंदू महीने माघ मास का महत्व और कथा

Magh Month 2024: हिंदू महीने माघ मास का महत्व और कथा - Magh Maas 2024
HIGHLIGHTS

* माघ स्नान की महिमा दुर्लभ कहीं गई है। 
* माघ माह में कल्पवास करना सबसे बड़ा पुण्य कहा गया है। 
* माघ मास में नदी स्नान से मिलेगा स्वर्गलोक।
 
Magh Maas 2024 : माघ मास का महत्व क्या है? : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ का महीना शुरू हो गया है। और हिन्दू धर्मशास्त्रों में माघ माह विशेष महत्व बताया गया है। तथा माघ स्नान की महिमा भी अपूर्व कही गई है। मान्यतानुसार जो लोग इस माह में पवित्र नदी में स्नान तथा तीर्थ स्थानों पर यात्रा करते हैं, उनके लिए यह माह बहुत ही लाभकारी माना गया है। 
 
इस मास में नदी, तट, तीर्थस्थल या पवित्र घाटों पर स्नान करने और उपवास तथा दान करने से अनंत पुण्य प्राप्त होता हैं। साथ ही इस समयावधि में भगवान माधव का पूजन अत्यंत फलदायी होता है। इस माह में ब्रह्मवैवर्तपुराण की कथा पढ़ने-सुनने तथा माघ महात्म्य पढ़ने का भी विशेष महत्व है। इस माह संगम पर कल्पवास करने से शरीर और आत्मा दोनों ही पवित्र हो जाती है।

इस महीने में तपस्वियों को तिल का दान करने से मनुष्य को नरक के दर्शन नहीं होते हैं। तथा माघ अमावास्या पर प्रयाग राज में स्नान करने समस्त पापों से मुक्ति होकर स्वर्ग प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जो भक्त माघ पूर्णिमा पर ब्रह्मावैवर्तपुराण का दान करता है, उसे ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है, ऐसी भी मान्यता है। 
 
आइए जानते हैं माघ माह की कथा के बारे में... Magh Month katha
 
स्कंदपुराण के रेवाखंड में माघ स्नान की कथा के उल्लेख में आया है कि प्राचीन काल में नर्मदा तट पर शुभव्रत नामक ब्राह्मण निवास करते थे। वे सभी वेद शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता थे। किंतु उनका स्वभाव धन संग्रह करने का अधिक था।
 
उन्होंने धन तो बहुत एकत्रित कल लिया, किंतु वृद्धावस्था के दौरान उन्हें अनेक रोगों ने घेर लिया। तब उन्हें ज्ञान हुआ कि मैंने पूरा जीवन धन कमाने में लगा दिया, अब परलोक सुधारना चाहिए। 
 
वह परलोक सुधारने के लिए चिंतातुर हो गए। अचानक उन्हें एक श्लोक याद आया, जिसमें माघ मास के स्नान की विशेषता बताई गई थी। 
 
उन्होंने माघ स्नान का संकल्प लिया और 'माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।।' इसी श्लोक के आधार पर नर्मदा में स्नान करने लगे। 
 
नौ दिनों तक प्रात: नर्मदा में जल स्नान किया और दसवें दिन स्नान के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। ब्राह्मण शुभव्रत ने जीवन भर कोई अच्छा कार्य नहीं किया था, लेकिन माघ मास में स्नान करके पश्चाताप करने से उनका मन निर्मल हो गया। और माघ मास के स्नान करने से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई। इस तरह जीवन के अंतिम क्षणों में उनका कल्याण हो गया। अत: माघ मास में यह कथा पढ़ने-सुनने से पुण्‍यफल की प्राप्ति होती है। 

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