शुक्रवार, 15 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. अन्य त्योहार
  4. Kalashtami Kaal Bhairav
Written By
Last Updated : मंगलवार, 19 जुलाई 2022 (16:43 IST)

20 जुलाई को कालाष्टमी : काल भैरव कौन हैं, रुद्रावतार भैरव पूजा से दूर होती हैं 10 परेशानियां

Kapal Bhairav
Kalashtami : प्रति माह दो अष्टमी रहती है। कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी को मासिक कालाष्टमी और शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मासिक दुर्गा अष्टमी कहते हैं। कालाष्टमी की तिथि भगवान भैरव को समर्पित है। श्रावण माह में कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी 20 जुलाई 2022 बुधवार को है। आओ जानते हैं कि कौन है काल भैरव और उनकी पूजा से होगी 10 तरह की परेशानियां दूर।
 
 
कालाष्टमी का महत्व : कालाष्टमी भगवान भैरव की जयंती तिथि है। भगवान भैरव रुद्रावतार हैं। इस दिन भैरवनाथ की पूजा करने का महत्व है। अष्टमी तिथि के देवता रुद्र हैं। यह तिथि भगवान भैरव से असीम शक्ति प्राप्त करने का समय मानी जाती है अत: इस दिन पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है। भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला। 
 
काल भैरव की पूजा विधि : (Kaal Bhairav Puja Vidhi)
1. इस दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठ कर नित्य-क्रिया आदि कर स्वच्छ हो जाएं।
2. एक लकड़ी के पाट पर सबसे पहले शिव और पार्वतीजी के चित्र को स्थापित करें। फिर काल भैरव के चित्र को स्थापित करें।
3. जल का छिड़काव करने के बाद सभी को गुलाब के फूलों का हार पहनाएं या फूल चढ़ाएं।
4. अब चौमुखी दीपक जलाएं और साथ ही गुग्गल की धूप जलाएं।
5. कंकू, हल्दी से सभी को तिलक लगाकर हाथ में गंगा जल लेकर अब व्रत करने का संकल्प लें।
6. अब शिव और पार्वतीजी का पूजन करें और उनकी आरती उतारें।
7. फिर भगवान भैरव का पूजन करें और उनकी आरती उतारें।
8. इस दौरान शिव चालीसा और भैरव चालीसा पढ़ें।
9. ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः का जाप करें। इसके उपरान्त काल भैरव की आराधना करें।
10. अब पितरों को याद करें और उनका श्राद्ध करें।
11. व्रत के सम्पूर्ण होने के बाद काले कुत्‍ते को मीठी रोटियां खिलाएं या कच्चा दूध पिलाएं।
12 अंत में श्वान का पूजन भी किया जाता है।
13. अर्धरात्रि में धूप, काले तिल, दीपक, उड़द और सरसों के तेल से काल भैरव की पूजा करें।
14. इस दिन लोग व्रत रखकर रात्रि में भजनों के जरिए उनकी महिमा भी गाते हैं।
पूजा से होगी 10 तरह की परेशानी दूर :
 
1. ग्रह दोष : भैरव पूजा से शनि, मंगल, राहु और केतु की पीड़ा समाप्त हो जाती है।
 
2. भय : भैरव पूजा से सभी तरह का भय मिट जाता है।
 
3. अकाल मृत्यु : भैरव पूजा से जातक अकाल मृत्यु नहीं मरता है।
 
4. आर्थिक समस्या : पूजा करने से जातक को आर्थिक समस्या नहीं रहती।
 
5. शत्रुओं से छुटकारा : भैरव पूजा से शत्रुओं से छुटकारा मिल जाता है।
 
6. मानसिक परेशानी : जातक को किसी भी प्रकार की मानसिक परेशानी नहीं रहती है।
 
7. कर्ज से मुक्ति : भैरव पूजा से सभी तरह के कर्ज से मुक्ति मिल जाती है।
 
8. रोग से मुक्ति : भैरव पूजा से सभी तरह का रोग मिट जाता है।
 
9. दांपत्य जीवन : भैरव पूजा से दांपत्य जीवन की परेशानी भी मिट जाती है। 
 
10. आकस्मिक संकट : भैरव पूजा करने से कभी भी आकस्मिक संकट नहीं आता।