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Vijaya Parvati Vrat 2020 : 3 जुलाई को विजया-पार्वती व्रत, यहां पढ़ें महत्व, पूजा विधि एवं मंत्र

Vijaya Parvati Vrat 2020 : 3 जुलाई को विजया-पार्वती व्रत, यहां पढ़ें महत्व, पूजा विधि एवं मंत्र - Jaya parvati Vrat 2020
Vijaya parvati Vrat 2020
 
3 जुलाई 2020, शुक्रवार को विजया-पार्वती व्रत मनाया जा रहा है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन एक विशेष व्रत किया जाता है। जिसे जया-पार्वती व्रत अथवा विजया-पार्वती व्रत के नाम से जाना जाता है। यह मालवा क्षेत्र का लोकप्रिय पर्व है और बहुत कुछ गणगौर, हरतालिका, मंगला गौरी और सौभाग्य सुंदरी व्रत की तरह है। इस व्रत से माता पार्वती को प्रसन्न किया जाता है। अखंड सौभाग्य और समृद्धि के लिए वह व्रत रखा जाता है। 
 
पुराणों के अनुसार यह व्रत स्त्रियों द्वारा किया जाता है। यह व्रत करने से स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है। इस व्रत का रहस्य भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को बताया था। कहीं इसे एक दिन और कहीं इसे 5 दिन तक मनाया जाता है। 
 
बालू रेत का हाथी बना कर उन पर 5 प्रकार के फल, फूल और प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। इस व्रत में नमक खाने की मनाही होती है। इसके अलावा गेहूं का आटा और सभी तरह की सब्जियां भी नहीं खाना चाहिए ऐसी मान्यता है। व्रत के दौरान फल, दूध, दही, जूस एवं दूध से निर्मित मिठाइयां खा सकते हैं। इस व्रत में सिर्फ एक समय बिना नमक का ज्वार से बना भोजन किया जाता है। आइए जानें विजया-पार्वती व्रत के दिन कैसे करें व्रत पूजन :-- 
 
विजया-पार्वती व्रत पूजन विधि :- 
 
* आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। 
 
* तत्पश्चात व्रत का संकल्प करके माता पार्वती का स्मरण करें। 
 
* घर के मंदिर में शिव-पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। 
 
* फिर शिव-पार्वती को कुंमकुंम, शतपत्र, कस्तूरी, अष्टगंध और फूल चढ़ाकर पूजा करें। 
 
* नारियल, अनार व अन्य सामग्री अर्पित करें। 
 
* अब विधि-विधान से षोडशोपचार पूजन करें।
 
* माता पार्वती का स्मरण कर स्तुति करें।  
 
* फिर मां पार्वती का ध्यान धरकर सुख-सौभाग्य और गृहशांति के लिए सच्चे मन से प्रार्थना कर अपने द्वारा हुई गलतियों की क्षमा मांगें। 
 
* पार्वती मंत्र : ॐ शिवाय नम: का अधिक से अधिक जाप करें। 

* कथा का श्रवण करें, कथा के बाद आरती कर पूजन संपन्न करें। 
 
* ब्राह्मण को भोजन करवाएं और इच्छानुसार दक्षिणा देकर, चरण छूकर आशीर्वाद लें। 
 
* अगर बालू रेत का हाथी बनाया है तो रात्रि जागरण के पश्चात उसे नदी या जलाशय में विसर्जित करें।