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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 20 जुलाई 2024 (10:29 IST)

shiv chaturdashi 2024 : चतुर्दशी व्रत पर जानें महत्व और पूजा विधि

shiv chaturdashi 2024 : चतुर्दशी व्रत पर जानें महत्व और पूजा विधि - chaturdashi puja vidhi 2024
chaturdashi shiv pujan 
 
HIGHLIGHTS
 
• आषाढ़ चतुर्दशी व्रत पूजा विधि।
• शिव चतुर्दशी की पूजा कैसे करें।
• आषाढ़ मास का शिव चतुर्दशी व्रत आज। 
 
chaturdashi 2024: हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास में दो बार चतुर्दशी तिथि पड़ती आती है। अत: हर माह पड़ने वाली 14वीं तिथि को चतुर्दशी/ चौदस के नाम से जाना जाता है। चतुर्दशी तिथि एक पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद पड़ती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्दशी को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्दशी को शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी कहते हैं। 
 
धार्मिक मान्यता के अनुसार मासिक शिवरात्रि तथा चतुर्दशी के दिन शिव जी का पूजन जीवन में सुख-शांति की कामना से किया जाता है। यदि कोई भक्त विधि-विधानपूर्वक इस दिन शिव जी का पूजन करें तो वह जीवन के समस्त सुखों को भोगकर सांसारिक बंधन से मुक्त हो जाता है। 
 
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव जी हैं। अत: इस दिन शिव-पार्वती का पूजन किया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष का चतुर्दशी व्रत आज यानी 20 जुलाई, दिन शनिवार को रखा जा रहा है। इस व्रत को करने से क्रोध, लोभ, मोह आदि बंधनों से मुक्ति मिलती है। 
 
आइए जानें इस चतुर्दशी के मंत्र और कैसे करें पूजन :
 
शुभ मंत्र- * 'शिवाय नम:'। * 'ॐ नम: शिवाय'। * 'ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ'। इन मंत्र का जाप करना अधिक फलदायी रहता है। 
 
सरल विधि : Chaturdashi Puja Vidhi 2024
 
- आषाढ़ चतुर्दशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान शिव का ध्‍यान करें तथा व्रत का संकल्‍प लें।
 
- पूजन के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल (यदि उपलब्ध हो तो) शकर, घी, शहद और दही अर्पित करके पूजन करें। 
 
- पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा आदि भी चढ़ाएं। 
 
- भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की आरती करें।
 
- मिठाई का भोग लगाएं। 
 
- मंत्र- 'ॐ नम: शिवाय' का जाप अधिक से अधिक करें। 
 
- शिव-पार्वती की पूजा करने के बाद रात्रि जागरण करें।
 
- अगले दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर पूजन करके ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें।
 
- फिर पारण करके व्रत को पूर्ण करें।
 
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