सोमवार, 27 अक्टूबर 2025
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Written By WD Feature Desk

Amla Navami 2025: आंवला नवमी कब है, क्या है इस दिन का महत्व

Amla Navami Importance
When is Amla Navami 2025: आंवला नवमी हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप में मनाई जाती है, जो मुख्य रूप से मार्गशीर्ष माह (नवम) की नवमी तिथि को मनाते हैं। यह दिन आंवले के पेड़ की पूजा और उसके लाभों को समझने का अवसर होता है। आंवला, जिसे भारतीय आंवला या अमला भी कहा जाता है, एक पौष्टिक फल है, जो स्वास्थ्य के कई लाभों से भरपूर होता है।

आयुर्वेद में इसे संजीवनी के रूप में माना जाता है, क्योंकि इसमें विटामिन C, एंटीऑक्सिडेंट्स और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को मजबूती और रोग प्रतिकारक क्षमता प्रदान करते हैं। इस बार 2025 में आंवला नवमी 31 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।ALSO READ: Dev uthani ekadashi 2025 date: कब है देवउठनी एकादशी
 
अक्षय नवमी शुक्रवार, अक्टूबर 31, 2025 को: 
• नवमी तिथि की शुरुआत: 30 अक्टूबर 2025 को सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर।
• नवमी तिथि की समाप्ति: 31 अक्टूबर 2025 को सुबह 10 बजकर 03 मिनट पर।
उदया तिथि के हिसाब से यह त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
• पूजा का शुभ मुहूर्त (पूर्वाह्न समय): 31 अक्टूबर 2025 को सुबह 06 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 03 मिनट तक। 
पूजन की कुल अवधि - 03 घंटे 31 मिनट्स
 
आंवला नवमी का महत्व:
 
1. अक्षय पुण्य की प्राप्ति: 'अक्षय' का अर्थ होता है जिसका कभी क्षय न हो, यानी कभी खत्म न होने वाला। माना जाता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों का फल अक्षय होता है।
 
2. सतयुग का आरंभ: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन से सतयुग का आरंभ हुआ था।
 
3. भगवान विष्णु का वास: यह माना जाता है कि कार्तिक मास की नवमी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में वास करते हैं। इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना भगवान विष्णु की पूजा के समान माना जाता है और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
 
4. आंवले के वृक्ष की पूजा: इस दिन विशेष रूप से आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। महिलाएं अपने बच्चों के खुशहाल जीवन और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूजा करती हैं। पूजा के दौरान कच्चे सूत से पेड़ की परिक्रमा की जाती है, और जल, हल्दी, रोली, फूल, और दीपक अर्पित किए जाते हैं। 
 
5. आंवले के पेड़ के नीचे भोजन: इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पकाना, भगवान को भोग लगाना और प्रसाद के रूप में ग्रहण करना बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इससे उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
 
6. लक्ष्मी जी की कथा: एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी पृथ्वी का भ्रमण करते हुए आंवले के पेड़ के पास आईं। उन्होंने उसी पेड़ के नीचे भोजन तैयार किया और भगवान विष्णु तथा भगवान शिव को परोसा, क्योंकि आंवला वृक्ष को शिव और विष्णु दोनों का प्रिय माना जाता है। इसके बाद उन्होंने स्वयं भी प्रसाद ग्रहण किया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
 
7. मथुरा-वृन्दावन की परिक्रमा: आंवला नवमी के शुभ अवसर पर मथुरा-वृन्दावन की परिक्रमा का भी विशेष महत्व है। श्रद्धालु अक्षय पुण्य अर्जित करने के लिए परिक्रमा करते हैं।
 
Indian gooseberry/ आंवला में उच्च मात्रा में विटामिन C और अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है, क्योंकि इसे आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
 
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