ओशो का जन्म मध्यप्रदेश के कुचवाड़ा में 11 दिसंबर 1931 को हुआ था। उन्हें 21 वर्ष की आयु में जबलपुर में संबोधि की प्राप्ति हुई। स्वास्थ्य संबंधी प्रतिकूलताओं के कारण ओशो ने 19 जनवरी 1990 को पूना स्थित अपने आश्रम में सायं 5 बजे के लगभग अपनी देह त्याग दी। पूना स्थित आश्रम में ही ओशो का अस्थिकलश स्थापित कर उनकी समाधि का निर्माण किया गया।
ओशो रजनीश के प्रवचनों के संकलन को किताबों का रूप दिया गया। लगभग 650 किताबें हैं। ओशो का हिन्दी साहित्य जितना समृद्ध है उससे कहीं ज्यादा उनके द्वारा अंग्रेजी में दिए गए प्रवचनों ने दुनियाभर में तहलका मचा रखा है। यहां प्रस्तुत है ओशो की हिन्दी की ऐसी 10 किताबें, जो दुनियाभर में बहुत तादाद में पढ़ी जाती हैं।
1. कृष्ण स्मृति और गीता दर्शन : ये दो किताबें ओशो द्वारा कृष्ण के बहुआयामी व्यक्तित्व और महाभारत पर दी गई 21 वार्ताओं और नवसंन्यास पर दिए गए एक विशेष प्रवचन का खास संकलन है। इसके बारे में कुछ भी कहना संभव नहीं है।
2. एस धम्मो सनंतनो : भगवान कृष्ण के बाद यदि कोई ईश्वरतुल्य व्यक्ति है तो वह बुद्ध ही है। एस धम्मो सनंतनो बुद्ध के प्रवचन और जीवन पर ओशो के प्रवचन को सुनते हुए लगता है कि हम जेतवन में बैठकर स्वयं बुद्ध को ही सुन रहे हैं। इस प्रवचनमाला को सुनकर या पढ़कर आप खुद से पूछेंगे कि अब तक का जीवन मैं व्यर्थ क्यूं गंवा बैठा? मैंने पहले यह अमृत क्यों नहीं चखा?
3. महावीर वाणी : ओशो की इस प्रवचनमाला को सुनना ऐसा ही है, जैसे किसी घने जंगल के बीच शांत झील के पास बैठकर पक्षियों के मधुर स्वर को सुनते हुए ज्ञान को उपलब्ध हो जाने जैसा अनुभव। भगवान महावीर पर ओशो के ये प्रवचन जीवन और ब्रह्मांड के रहस्यों से पर्दा उठाते हैं। सचमुच इसे सुनकर आपका मन करेगा जैन धर्म में दीक्षा लेकर साधु बनने का।
4. संभोग से समाधि की ओर : यह ओशो की सबसे चर्चित और विवादित किताब है जिसमें ओशो ने 'काम ऊर्जा' का विश्लेषण कर उसे अध्यात्म की यात्रा में सहयोगी बताया है। साथ ही यह किताब 'काम' और उससे संबंधित सभी मान्यताओं और धारणाओं को एक सकारात्मक दृष्टिकोण देती है। ओशो कहते हैं 'काम पाप नहीं। यह भगवान तक पहुंचने का पहला पायदान है।'
5.ध्यान योग, प्रथम और अंतिम मुक्ति : ओशो का एकमात्र संदेश है ध्यान। ध्यान पर उन्होंने जो प्रवचन दिए उनमें से ध्यान योग, प्रथम और अंतिम मुक्ति नामक प्रवचनमाला सबसे उत्तम है। यह ओशो द्वारा ध्यान पर दिए गए गहन प्रवचनों का संकलन है। इसमें ध्यान की अनेक विधियों का वर्णन है। ये विधियां प्रत्येक व्यक्ति की सहायता कर सकती हैं। आपके लिए ध्यान की कौन-सी विधि कारगर सिद्ध होगी इसके लिए आपको इसे पहले से आखिरी पेज तक पढ़ना जरूरी है। कोई विधि आजमाने के लिए इस किताब का इस्तेमाल अंत:प्रेरणा से करें।
6. ग्लिम्प्सेज ऑफ गोल्डन चाइल्डहुड : यह किताब हर पिता को पढ़ना चाहिए। इसमें ओशो ने अपने बचपन के दिनों और बच्चे की मानसिकता को बहुत ही सुंदर तरीके से कहा है। इस किताब में उन्होंने अपने बचपन के अलावा बीच-बीच में धर्म, इतिहास और राजनीति की ऐसी बातों का भी जिक्र किया है जिसे कम ही लोग जानते होंगे।
7. पतंजलि योग सूत्र : पतंजलि योग सूत्र, योग के रहस्य को उजागर करता है। असल में धर्म का मार्ग यही है। मन से मुक्त होकर मोक्ष तक पहुंचने का एक प्रायोगिक और वैज्ञानिक मार्ग, जिस पर चलकर कोई भी मोक्ष का द्वार खटखटा सकता है। यह किताब अद्भुत है। इसे पढ़ने के बाद आपके दिमाग से धर्म का नशा उतर सकता है। पतंजलि ने धर्म के मार्ग को 8 भागों में बांटकर योग का मार्ग बना दिया है। कहना चाहिए कि योग का मार्ग ही असल में धर्म का मार्ग है।
8. देख कबीरा रोया : स्वर्णिम भारत, भारत एक सनातन यात्रा और भारत एक अनूठी सम्पदा आदि ऐसी किताबें हैं जिसमें ओशो ने भारत के संदर्भ में रहस्यों को उजागर किया है। ओशो ने भारतीय रहस्यदर्शियों और भारत के अतीत व भविष्य पर एक प्रवचनमाला की शुरुआत की थी। उन्हीं प्रवचनमालाओं में से कुछ प्रवचनों को निकालकर ये किताबें बनीं। 'देख कबीरा रोया' नाम से यह एक प्रवचनमाला थी जिसमें सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं पर प्रश्नोत्तर सहित ओशो द्वारा दिए गए 22 प्रवचन संकलित हैं। इसमें भारत के जलते प्रश्नों के समाधान बताए गए हैं। प्रत्येक भारतीय को ये किताबें पढ़ना चाहिए। यदि आप भारत को नहीं जानना चाहते हैं, तो ये किताब न पढ़ें।
9. मैं मृत्यु सिखाता हूं : इस किताब के माध्यम से ओशो समझाते हैं कि जन्म और मृत्यु एक ही सिक्के को दो पहलू हैं। जन्म और मृत्यु को मिलाकर ही पूरा जीवन बनता है। जो अपने जीवन को सही और पूरे ढंग से नहीं जी पाते, वही मृत्यु से घबराते हैं। सच तो यह है कि ओशो जीवन को पूरे आनंद के साथ जीने की कला सिखाते हैं और यही कला मृत्यु के भय से हमें बचाती और जगाती है।
10. विज्ञान भैरव तंत्र : इसी में शिव सूत्र और तंत्र सूत्र की रहस्यमयी बातों का जिक्र है। जो धर्म के गहरे रहस्यों को जानकर सिद्धियां प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें 'विज्ञान भैरव तंत्र' और 'कठोपनिषद' को जरूर पढ़ना चाहिए। यह दोनों ही किताबें चमत्कृत कर देने वाली हैं।
ओशो को पढ़ने के बजाय सुनना बेहतर है। वेदों को भी हमारे ऋषियों ने सुना था। सुनकर ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। सुनकर ही उसे अच्छे से समझा जा सकता है। यह थी ओशो के हिन्दी प्रवचनों पर आधारित किताबें। अंग्रेजी भाषा में दिए गए ओशो के प्रवचन कहीं ज्यादा बौद्धिक और आज के आधुनिक मनुष्य के लिए हैं।