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Last Updated : गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017 (10:59 IST)

डेमोक्रेटिक कॉकस की उभरती सितारा : प्रमिला जयपाल

डेमोक्रेटिक कॉकस की उभरती सितारा : प्रमिला जयपाल - Pramila jaipal
वाशिंगटन। अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में पहली भारतीय-अमेरिकी महिला और वाशिंगटन स्टेट का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली एशियाई-अमेरिकी महिला प्रमिला जयपाल अपने कामों से हमेशा के लिए समाचारों में बनी रहती हैं। और वे ऐसे कामों में सक्रिय रहती हैं जिनको लेकर आवाज उठाने की बहुत कम हिम्मत करते हैं। अब उनका काम लगातार प्रवासियों के मुद्दों पर केन्द्रित हो रहा है।
 
भारतीय अमेरिकी विरासत की एक प्रवासी महिला के तौर पर वे वाशिंगटन के विभिन्न समुदायों का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनका यह काम 'निजी से अधिक' है। हाल ही में जयपाल ने एक निंदात्मक सवाल उठाने वाला एक जॉन का सी स्पान' के वाशिंगटन ‍जर्नल को करारा जवाब दिया। उसने प्रवासियोंको 'अवैध विदेशी' बताया जोकि सरकार के लाभों का फायदा उठाते हैं और 'अमेरिकी लोगों की नौकरियों' को छीनते हैं। साथ भी, उसकी मांग थी कि बिना दस्तावेजी प्रवासियों के बच्चों को उसी तरह वापस भेजना चाहिए जैसेकि उनके मां-बाप को वापस भेजा गया।  
 
इस मामले पर प्रमिला का जवाब था कि ' जॉन, ऐसा लगता है कि यह समूचे देश की सच्चाई है कि इस बात का कोई सवाल नहीं है कि देश को आर्थिक असमानता का सामना करना है और इस बात को सुनिश्चित करना है कि हम प्रत्येक को एक अच्छी    मजदूरी वाला काम मिले। मैं इस बात को लेकर प्रतिबद्ध हूं कि और मैं आपसे कहती हूं कि मैं आपका चेहरा नहीं देख सकती हूं लेकिन आपकी आंखों में देख सकती हूं। मैं आपसे कहूंगी कि इन बातों के लिए प्रवासियों को दोष देना पूरी तरह गलत है और इसका कारण यह है।  
 
उन्होंने समझाया कि जोकि बिना दस्तावेज वाले प्रवासी आते हैं उन्होंने सार्वजनिक लाभ नहीं मिलते हैं। उन्होंने कहा कि वे इसे दोष उन निगमों पर डालें तो अपने हिस्से का राजस्व सरकार को नहीं देते हैं। और दोष प्रवासियों पर मढ़ा जाता है। प्रमिला खुद एक प्रवासी हैं। जब वे सोलह वर्ष की थी तब उनके माता‍-पिता ने अपना सारा पैसा (करीब पांच हजार डॉलर) उन्हें भारत से अमेरिका भेजने पर खर्च कर दिया था और यहां आकर उन्होंने प्रतिष्ठित जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी, वाशिंगटन में पढ़ाई की। 
 
अमेरिकी नागरिकता के लिए उन्होंने 17 वर्ष तक इंतजार किया लेकिन यह उन्हें तब मिली जब उन्होंने एक अमेरिकी से विवाह किया। वर्षों तक उन्होंने एक कार्यकर्ता के तौर पर प्रवासियों के अधिकारियों के लिए संघर्ष किया। इसके साथ ही, उन्होंने 2016 के चुनावों में प्रवासियों के विरोध में भाषण दिए। तब भी वे वाशिंगटन स्टेट के सातवें डिस्ट्रिक्ट सिएटल क्षेत्र की कांग्रेसनल सीट से चुनाव जीतीं।  
 
कुछ दिनों पहले उन्होंने ‍प्रतिनिधि डॉन यंग को माफी मांगने के लिए विवश कर दिया था क्योंकि उन्होंन सदन में बहस के दौरान उनके खिलाफ निजी टिप्पणी की थी। ट्रंप प्रशासन में कुछेक महीनों जब व्हाइट हाउस लगातार संकट में रहा, उनका कहना था ' मैं इसे प्रगति समझती हूं कि क्योंकि न केवल सारे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
 
वरन डेमोक्रेटिक पार्टी के पदाधिकारी भी चुने गए हैं-इनमें से कुछ रिपब्लिकन पार्टी के ही हैं जोकि कह रहे हैं कि यह घृणित और अपमानजनक है।' जब वे सिएटल में अकेली थीं तब भी उन्होंने अकेले ही संघर्ष किया और जो बात उन्हें गलत लगी, उसका उन्होंने पुरजोर तरीके से विरोध किया। 
 
जयपाल ट्रंप युग की कांग्रेस प्रति‍निधि हैं और पहले ही अकेली ऐसी डेमोक्रेटिक सीनेटर रही हैं जिन्होंने पैट्रियट एक्ट का विरोध किया था। वे एकमात्र संसद सदस्या थी जिन्होंने आतंक के खिलाफ युद्ध का विरोध किया था। 9/11 के बाद उन्होंने मुस्लिमों का भी समर्थन किया और बुश प्रशासन के दुरुपयोगों का विरोध किया। यह वह समय था जबकि उन्हें देशद्रोही भी समझा जा सकता था। मु‍स्ल‍िमों को सहारा देने के लिए उन्होंने 'हेट फ्री जोन' भी बनाया ताकि उनके खिलाफ हिंसा न हो। बाद में, हेट फ्री जोन को उन्होंने 'वन अमेरिका' नामक आंदोलन में बदला। ओबामा के प्रशासन ने उन्होंने चैम्पियन ऑफ चेंज बताया।  
 
तब हाउस की माइनोरिटी लीडर नैंसी पेलोसी ने उन्हें डेमोक्रेटिक कॉकस की 'राइजिंग
स्टार' बताया। उन्होंने संसद की समितियों में भी प्रतिनिधित्व किया। जयपाल का जन्म  1965 में चेन्नई में हुआ था। बाद में, वे इंडोनेशिया और सिंगापुर भी रहीं और वहां से वे पढ़ने के लिए अमेरिका पहुंचीं। बैचलर डिग्री हासिल करने के अलावा उन्होंने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से एमबीए भी किया। मेयरल कमेटीज में रहने के बाद 2014 के बाद उन्होंने कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है और वे सिएटल में अपने बेटे जनक और पति स्टीव विलियमसन के साथ रहती हैं।  
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