एनएसडब्ल्यू में भारतीय शोधकर्ता बनीं वूमन ऑफ द ईयर
मेलबर्न। अग्नाशय कैंसर पर शोध करने वाली 56 वर्षीय भारतीय शोधकर्ता को चिकित्सीय शोध, उच्च शिक्षा और भारतीय समुदाय के प्रति योगदान के लिए ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स वूमन ऑफ द ईयर 2015 चुना गया है।
यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स में शोधकर्ता मिनोती आप्टे को यह पुरस्कार हाल ही में एनएसडब्लयू के प्रमुख माइक बेयर्ड और मिनिस्टर फॉर वूमन प्रू गोवार्ड के हाथों एनएसडब्ल्यू के संसद भवन में आयोजित एक समारोह में दिया गया।
बेयर्ड ने कहा, ‘अपनी प्रभावशाली पेशेवर सफलताओं के साथ-साथ आप्टे सिडनी की महत्वपूर्ण भारतीय जनसंख्या के लिए काम करने वाली मराठी एसोसिएशन ऑफ सिडनी की एक सक्रिय सदस्य हैं।’ बेयर्ड ने यह भी कहा कि उनकी उपलब्धियां अन्य महिलाओं को उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
आप्टे ने कहा, ‘पुरस्कार प्राप्त करते हुए मैं पैनक्रिएटिक रिसर्च ग्रुप के सदस्यों, मेरे पीएचडी छात्रों झिहोंग जू और श्री पोथुला और अपने मेंटर प्रोफेसर जेरेमी विल्सन और प्रोफेसर रोन पिरोला के शानदार सहयोग को रेखांकित करना चाहूंगी।’ यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स के साउथ वेल्स सिडनी क्लीनिकल स्कूल में प्रोफेसर आप्टे को पिछले साल चिकित्सा शोध, उच्च शिक्षा और भारतीय समुदाय के प्रति योगदान के लिए ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया मेडल से सम्मानित किया गया था।
आप्टे कोशिका के स्तर पर अग्नाशय के कैंसर की जांच कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि कैंसर इतना उग्र कैसे और क्यों होता है और इसका प्रसार इतनी तेजी से कैसे और क्यों होता है? अग्नाशय का कैंसर सबसे घातक कैंसरों में से एक है और इसमें पांच वर्ष तक जीवित रहने की दर महज छह प्रतिशत है।