- सुधा ओम ढींगरा
ढींगरा फाउंडेशन-हिन्दी चेतना अंतरराष्ट्रीय साहित्य सम्मानों की घोषणा कर दी गई है। यह घोषणा वर्ष 2014 के लिए है। इसके अंतर्गत ये पुरस्कार उषा प्रियंवदा (अमेरिका), चित्रा मुद्गल और ज्ञान चतुर्वेदी (भारत) को प्रदान किए जाएंगे।
ढींगरा फाउंडेशन-हिन्दी चेतना अंतरराष्ट्रीय साहित्य सम्मान इस वर्ष (समग्र साहित्यिक अवदान हेतु) उषा प्रियंवदा (अमेरिका), ढींगरा फाउंडेशन-हिन्दी चेतना अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध कथाकार-साहित्यकार चित्रा मुद्गल को उनके कहानी संग्रह ‘पेंटिंग अकेली है’ (सामयिक प्रकाशन) और 'हम न मरब' उपन्यास (राजकमल प्रकाशन) के लिए डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी को सम्मानित किया जाएगा।
समारोह 30 अगस्त 2015, रविवार को मोर्रिस्विल, नॉर्थ कैरोलिना, अमेरिका में आयोजित किया जाएगा। पुरस्कार के अंतर्गत तीनों रचनाकारों को ‘ढींगरा फाउंडेशन-अमेरिका’ की ओर से शॉल, श्रीफल, सम्मान पत्र, स्मृति चिह्न के साथ 500 डॉलर (लगभग 31 हजार रुपए) की सम्मान राशि और यात्रा व्यय भी दिया जाएगा।
हिन्दी चेतना के सहसंपादक एवं भारत समन्यवक पंकज सुबीर ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रेमचंद सम्मान तथा डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित प्रतिष्ठित कहानीकार, उपन्यासकार उषा प्रियंवदा प्रवासी हिन्दी साहित्यकार हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में कहानी संग्रह- फिर वसंत आया, जिंदगी और गुलाब के फूल, एक कोई दूसरा, कितना बड़ा झूठ, शून्य, मेरी प्रिय कहानियां, संपूर्ण कहानियां, वनवास के साथ पचपन खंभे लाल दीवार, रुकोगी नहीं राधिका, शेष यात्रा, अंतर्वंशी, भया कबीर उदास, नदी आदि प्रमुख उपन्यास हैं। समग्र साहित्यिक अवदान हेतु उन्हें सम्मान प्रदान किया जा रहा है।
व्यास सम्मान, इंदु शर्मा कथा सम्मान, साहित्य भूषण, वीरसिंह देव सम्मान से सम्मानित हिन्दी की महत्वपूर्ण कहानीकार चित्रा मुद्गल के अभी तक 3 उपन्यास- एक जमीन अपनी, आवां, गिलिगडु, 12 कहानी संग्रह- भूख, जहर ठहरा हुआ, लाक्षागृह, अपनी वापसी, इस हमाम में, 11 लंबी कहानियां, जिनावर, लपटें, जगदंबा बाबू गांव आ रहे हैं, मामला आगे बढ़ेगा अभी, केंचुल आदि-अनादि आ चुके हैं। सम्मानित कथा संग्रह ‘पेंटिंग अकेली है’ उनका नया कहानी संग्रह है, जो सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है।
पद्मश्री शरद जोशी सम्मान, कथा यूके सम्मान, यश भारती सम्मान सहित अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार एवं सम्मान से सम्मानित पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी भोपाल में हृदय विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत हैं। अब तक प्रकाशित कृतियों में कहानी संग्रह- रामबाबूजी का बसंत, मूर्खता में ही होशियारी है, उपन्यास- नरक यात्रा, बारामासी, मरीचिका, हम न मरब, व्यंग्य संग्रह- जो घर फूंके, हिन्दी में मनहूस रहने की परंपरा प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें उनके राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित उपन्यास ‘हम न मरब’ के लिए यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि 2014 से प्रारंभ किए गए ढींगरा फाउंडेशन-हिन्दी चेतना अंतरराष्ट्रीय साहित्य सम्मान पिछले वर्ष साहित्यकारों- महेश कटारे, सुदर्शन प्रियदर्शिनी तथा हरिशंकर आदेश को कैनेडा के टोरंटो में प्रदान किए गए थे।
‘ढींगरा फाउंडेशन-अमेरिका’ की स्थापना भाषा, शिक्षा, साहित्य और स्वास्थ्य के लिए प्रतिबद्ध संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य करने हेतु की गई है ताकि इनके द्वारा युवा पीढ़ी और बच्चों को प्रोत्साहित कर सही मार्गदर्शन दिया जा सके। देश-विदेश की उत्तम हिन्दी साहित्यिक कृतियों एवं साहित्यकारों के साहित्यिक योगदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करना भी इसका उद्देश्य है। उत्तरी अमेरिका की त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका ‘हिन्दी चेतना’ को गत 16 वर्षों से हिन्दी प्रचारिणी सभा प्रकाशित कर रही है। हिन्दी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1998 में हुई थी।
हिन्दी प्रचारिणी सभा गत 16 वर्षों से विदेशों में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में विशेष भूमिका निभा रही है। ‘हिन्दी चेतना’ के संपादकीय मंडल में श्याम त्रिपाठी संरक्षक, मुख्य संपादक तथा हिन्दी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष, डॉ. सुधा ओम ढींगरा संपादक एवं रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, पंकज सुबीर और अभिनव शुक्ल सहसंपादक हैं।