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Written By ND

बिना 'पैन' नहीं लेन-देन

बिना ''पैन'' नहीं लेन-देन -
वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने वर्ष 2008-09 का बजट पेश करते हुए कॉर्पोरेट क्षेत्र को कुछ सौगातें दीं, वहीं कुछ उपायों के जरिए निराश भी किया। वित्तमंत्री ने कॉर्पोरेट कर को यथावत रखा, वहीं बैंकिंग लेन-देन कर (बीसीटीटी) को 1 अप्रैल 2009 से वापस लेने की घोषणा की। बजट की सबसे महत्वपूर्ण घोषणा यह है कि अब बैंक से सभी तरह के लेन-देन के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) को अनिवार्य कर दिया।

वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने बजट भाषण में कहा कि हमने वर्ष 2006 के बजट में कहा था कि आरए पाटिल समिति की रिपोर्ट के आधार पर हम कॉर्पोरेट बांडों के लिए एक मंच एक्सचेंज व्यापारिक बाजार का सृजन करने के निमित्त कदम उठाएँगे। उसी के तहत बीएसई और एनएसई दोनों ने कॉर्पोरेट बांडों में व्यापार करने के लिए मंच बना लिया है।

कॉर्पोरेट बांडों के लिए बाजार के विस्तार के उपाय : एक्सचेंज व्यापारिक मुद्रा और ब्याज दर भावी सौदे आरंभ करना और उपयुक्त संरक्षण सहित पारदर्शी ऋण उत्पाद बाजार विकसित करना, घरेलू परिवर्तनीय बांडों की कारोबारिता बढ़ाना, इससे निवेशक अंतर्निहित इक्विटी विकल्प को परिवर्तनीय बांड से अलग करने तथा इसका पृथक कारोबार करने में समर्थ होगा, अपनी जटिलता और अंतर्निहित जोखिमों पर आधारित वित्तीय लिखतों को वर्गीकृत करने हेतु बाजार आधारित प्रणाली के विकास को प्रोत्साहित करना।

पैन कार्
स्थायी खाता संख्या (पैन) का डर वस्तुतः समाप्त हो गया है। पैन अब प्रतिभूति बाजार में सभी भागीदारों के एक मात्र पहचान संख्या है। पैन उपयुक्त आरंभिक कर सीमाओं के अधीन वित्तीय बाजार में सभी लेन-देनों के लिए पैन को आवश्यक बनाया।

राष्ट्रीय प्रतिभूति बाजार : राज्यों के वित्तमंत्रियों की सशक्त समिति से अनुरोध किया गया है कि वे प्रतिभूतियों के लिए वास्तव में एक अखिल भारतीय बाजार बनाने हेतु केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करें, जिससे बाजार के आधार का विस्तार होगा और राज्य सरकारों के राजस्व में वृद्धि होगी।

* कॉर्पोरेट आयकर दरों में कोई परिवर्तन नहीं।
* वरिष्ठ नागरिक बचत योजना 2004 तथा डाकघर मियादी जमा खाता को आयकर अधिनियम की धारा 80 ग के अंतर्गत बचत लिखित समूह में शामिल किया जाएगा।
* माता-पिता के मेडिकल बीमा प्रीमियम का भुगतान करने वाले व्यक्ति को धारा 80 घ के अंतर्गत 15000 रु. की अतिरिक्त कटौती की अनुमति प्रदान की जाएगी।
* डीमैट रूप में जारी और मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कॉर्पोरेट ऋण लिखतों (डेब्ट इंटस्ट्रूमेंट) को स्रोत पर कर की कटौती से छूट दी जाएगी।
* शिशु सदन सुविधा, किसी खिलाड़ी कर्मचारी का प्रायोजन, कर्मचारियों के लिए खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन और अतिथिगृहों को एफबीटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
* मूल कंपनी को इसकी सहायक कंपनी से प्राप्त लाभ का समंजन मूल कंपनी द्वारा वितरित लाभांश में से करने की अनुमति प्राप्त होगी, बशर्ते प्राप्त लाभांश पर डीटीपी लगाया गया है और मूल कंपनी किसी अन्य कंपनी की सहायक कंपनी न हो।
* केयर बोर्ड को धारा 10 (29 क) में शामिल किया जाएगा और वह आयकर के दायरे से बाहर हो जाएगा। ऑप्शनों और फ्यूचरों पर एसटीटी की तर्ज पर पण्य लेन-देन कर (सीटीटी) आरंभ किया जाएगा।
* कंपनियाँ, जो किसी कारोबार, वाणिज्य अथवा व्यापार संबंधी कोई नियमित कारोबार, वाणिज्य अथवा व्यापार चला रही है अथवा इनके विषय में सेवा प्रदान कर रही है और आय का अर्जन कर ही है, को शामिल न किए जाने हेतु कानून में संशोधन किया जाएगा। इससे वास्तविक धर्मार्थ संगठन किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होंगे।

न सत्यम्‌, न शिवम्‌, न सुंदरम्‌