मंगलवार, 10 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. नवरात्रि
  4. When will be the ninth day of Shardiya Navratri and Dussehra 2024
Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024 (16:51 IST)

Shardiya navratri 2024 date: शारदीय नवरात्रि में क्या नवमी और दशहरा एक ही दिन पड़ेगा?

Shardiya navratri ki navami tithi: शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि कब रहेगी, जानिए

Gupt Navratri 2024
Shardiya Navratri 2024 navami date october 2024: इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक रहेगा। इस बार पंचमी तिथि 2 दिनों तक रहेगी। यानी 7 और 8 अक्टूबर को पंचमी तिथि रहेगी। दुर्गा अष्टमी 11 अक्टूबर की रहेगी और 12 अक्टूबर को नवमी रहेगी। इसी दिन दशहरा और विजयादशमी का महापर्व भी मनाया जाएगा। हालांकि कुछ पंचांग के अनुसार नवमी 11 अक्टूबर को रहेगी जिसका पारण 12 अक्टूबर को होगा।
 
  • 11 अक्टूबर 2024 को रहेगी अष्टमी और नवमी
  • उदयातिथि से 12 अक्टूबर 2024 को मनाएंगे नवमी 
  • 12 अक्टूबर 2024 को ही रहेगा दशहरा का पर्व, इसी दिन नवमी का पारण होगा
शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि का प्रारंभ और अंत कब रहेगा?
नवमी तिथि प्रारम्भ- 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12:06 बजे।
नवमी तिथि समाप्त- 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:58 बजे।
उदयातिथि के अनुसार 12 अक्टूबर को रहेगी नवमी। कुछ लोग 11 को भी मनाएंगे।
12 अक्टूबर को नवमी व्रत का पारण रहेगा, इसी दिन दशहरा भी रहेगा।
 
 
शारदीय नवरात्रि की 11 अक्टूबर 2024 पूजा के शुभ मुहूर्त: 
संधि पूजा: दोपहर 11:42 से दोपहर 12:30 के बीच। महानवमी भी इसी दिन।
सुबह की पूजा: प्रात: 04:41 से 06:20 के बीच। 
दोपहर की पूजा अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 से 12:31 के बीच।
शाम की पूजा: शाम 05:55 से 07:10 के बीच।
रात्रि की पूजा: अमृत काल में 11:05 से 12:40 के बीच। 
Shardiya navratri 2024
शारदीय नवरात्रि की 12 अक्टूबर 2024 की पूजा के शुभ मुहूर्त: 
सुबह की पूजा: प्रात: 05:06 से 06:20 के बीच। 
दोपहर की पूजा अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:45 से 12:32 के बीच।
शाम की पूजा: शाम 05:54 से 07:09 के बीच।
रात्रि की पूजा: अमृत काल में 06:28 से 08:15 के बीच। 
 
माता सिद्धिदात्री देवी : माता दुर्गा के 9 स्वरूपों में नौवें दिन नवमी की देवी है माता सिद्धिदात्री। नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। इसके बाद उनकी पौराणिक कथा या कहानी पढ़ी या सुनी जाती है। 
 
या देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।