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Last Updated :नई दिल्ली , गुरुवार, 9 अगस्त 2018 (17:44 IST)

तीन तलाक पर राहत, मजिस्ट्रेट से मिल सकती है जमानत

तीन तलाक पर राहत, मजिस्ट्रेट से मिल सकती है जमानत - Tin Talaq bill passed by modi cabinet
नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट ने तीन तलाक बिल को कुछ संशोधन के बाद मंजूरी दे दी है। तीन तलाक बिल गैर जमानती अपराध ही रहेगा, लेकिन मजिस्ट्रेट द्वारा इस मामले में जमानत दी जा सकेगी। 
 
तीन तलाक पर लंबे समय से बहस चल रही थी और विपक्ष को इस विधेयक के कुछ नियमों पर आपत्ति थी। यही कारण था कि यह बिल राज्यसभा में अटक गया था। हालांकि अब मामूली संशोधनों के साथ कैबिनेट ने इसे पास कर दिया है। 
 
गौरतलब है कि केन्द्र की मोदी सरकार तीन तलाक बिल को 2019 के चुनाव से पहले पास करवाना चाहती है और इसे अपनी उपलब्धि के रूप में जनता के बीच ले जाना चाहती थी। पिछले सत्र में राज्यसभा में इस विधेयक पर काफी बहस हुई थी। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी-अपनी मांगों पर अड़े थे।
 
बैठक के बाद विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि पहले संशोधन के तहत अब प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार स्वयं पीड़ित पत्नी, उससे खून का रिश्ता रखने वाले और शादी के बाद बने रिश्तेदारों को ही होगा।
 
इसके अलावा विधेयक में समझौते का प्रावधान भी शामिल किया गया है। प्रसाद ने बताया कि मजिस्ट्रेट उचित शर्तों पर पति-पत्नी के बीच समझौता करा सकता है। एक अन्य संशोधन जमानत के संबंध में किया गया है। अब मजिस्ट्रेट को यह अधिकार दिया गया है कि वह पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद आरोपी पति को जमानत दे सकता है।
 
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अब भी गैर-जमानती अपराध बना हुआ है जिसमें थाने से जमानत मिलना संभव नहीं है। यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा में लंबित है।
 
कांग्रेस से पूछा सवाल : प्रसाद ने इस मुद्दे पर विपक्षी दल कांग्रेस से भी अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता और संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी जिस पारिवारिक परंपरा पर गर्व करती हैं, उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे इस विधेयक के साथ खड़ी होंगी। जिस प्रकार कांग्रेस ने लोकसभा में इस विधेयक का समर्थन किया था उसी प्रकार उसे राज्यसभा में भी समर्थन करना चाहिए। 
 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस यह सवाल करती है कि जिसका पति बार-बार जेल जाएगा उसका परिवार खाएगा कहां से। मैं पूछना चाहता हूं कि महिलाओं पर अत्याचार, दहेज हत्या तथा अन्य अपराधों में जेल में बंद मुस्लिम पुरुषों की पत्नियां भी तो इसी स्थिति में होती हैं। इस कानून के तहत भी स्थिति कोई अलग नहीं होगी।
 
केंद्रीय मंत्री ने आंकड़े साझा करते हुए कहा कि वर्ष 2017 और 2018 में तीन तलाक के कम से कम 389 मामले हुए हैं जिनमें से 229 मामले तीन तलाक के बारे में उच्चतम न्यायालय के 22 अगस्त 2017 के फैसले से पहले के हैं जबकि 160 उसके बाद हुए हैं। इससे स्पष्ट है कि अदालत के फैसले के बाद भी तीन तलाक के मामले रुके नहीं हैं।