श्रीनगर। यह खुशी की बात कही जा सकती है कि कश्मीर में अपनी मांओं की पुकार पर हथियार छोड़ घरों के लौटने वालों की संख्या में इजाफा होने लगा है। माजिद खान के बाद कश्मीर घाटी के एक और युवा ने आतंकवाद का साथ छोड़कर अपने घर वापस आ गया है। उसे माता-पिता ने भी उसके वापस आने की अपील की थी। हाल ही में लश्करे तैयबा में शामिल हुए फुटबॉलर माजिद खान ने मां की पुकार पर आतंकवाद छोड़कर अपने घर वापस आ गया था। हालांकि दूसरी ओर सुरक्षाबलों ने ऐसे आतंकी युवाओं के लिए हेल्पलाइन भी तैयार की है जो आतंकवाद की राह का त्याग कर घरों को वापस लौटना चाहते हैं।
पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि माता-पिता की अपील पर दक्षिण कश्मीर का एक और युवा आतंकवाद को छोड़कर वापस आ गया है। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से उस युवा के बारे में ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया। इस बीच शोपियां के कापरान में एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें उसके माता-पिता अपने बेटे आशिक हुसैन भट से आतंकवाद छोड़ने की अपील कर रहे हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि जिस युवा ने आतंकवाद छोड़ा है वो भट ही है।
और शायद यह पहला मौका होगा जब सुरक्षा एजेंसियां खुले तौर पर आतंक का रास्ता छोड़ने वाले लोगों की मदद कर रही हैं। सीआरपीएफ की ओर से एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है, जिसके जरिए घाटी में सरेंडर की चाह रखने वाले युवा एजेंसी की मदद ले सकते हैं। सीआरपीएफ ने इसके लिए 14411 नंबर से एक टोल फ्री हेल्प लाइन जारी की है।
आतंकी की राह से लौटने में मदद करने वाली इस हेल्प लाइन को मददगार का नाम दिया गया है। यह उन भटके हुए युवाओं की मदद करेगी जो घाटी में आतंक की राह पर चल पड़े हैं और अब वापस मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं। यह कदम फुटबॉलर से आतंकी बने माजिद के सरेंडर के बाद उठाया गया है जो दो दिन पहले ही आतंकियों का साथ छोड़ वापस अपने घर लौटा है।
सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर जनरल जुल्फिकार हसन ने जानकारी देते हुए कहा कि मुझे लगता है कि काफी युवा वापस आना चाहते हैं, मैं उन सभी भरोसा दिलाना चाहता हूं कि वह खुले तौर पर आतंक की राह से वापस आ सकते हैं। सीआरपीएफ ने इसी साल जून में कश्मीरी नागरिकों की मदद के लिए यह हेल्प लाइन जारी की थी, अब इस दिशा में भी इसका विस्तार किया जा रहा है।
आईजी हसन ने बताया कि यह हेल्प लाइन पुलिस और सेना दोनों की है। साथ ही आतंकियों समेत उनके परिजन, दोस्त भी वापसी के लिए इसकी मदद ले सकते हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि एजेंसी किसी भी तरह से उन्हें प्रताड़ित नहीं करेगी।
इससे पहले दक्षिण कश्मीर में आतंकवादी बने दो और युवकों के परिजनों ने उनसे वापस आने की गुहार लगाई थी। साथ ही वे संबंधित प्रशासन से सहयोग का आग्रह कर रहे हैं। इनमें एक परिवार कापरान-शोपियां के आशिक हुसैन बट का है और दूसरा परिवार द्रबगाम पुलवामा के मंजूर का। आशिक इस समय लश्कर का आतंकी है और उसका कोड अबु माज है।
28 वर्षीय आशिक हुसैन दस दिन पहले अपने बुजुर्ग मां-बाप और गर्भवती पत्नी को छोड़ आतंकी बना है। उसके पिता इसहाक ने कहा कि सब कुछ ठीक ही चल रहा था। बीते 12 साल से वह शोपियां में दुकान कर रहा था। कर्ज लेकर उसका कारोबार बढ़ाया गया। पिछले साल ही उसकी शादी की थी। पिछले वीरवार को वह घर से निकला फिर नहीं लौटा।
उन्होंने कहा कि हमने बहुत तलाश किया। वह मिला तो सोशल मीडिया पर आतंकी के तौर पर। उसकी मां का बुरा हाल है। सबसे ज्यादा तकलीफ मुझे उसकी पत्नी को देखकर होती है वह सदमे में है। आशिक की पत्नी बिस्माह ने कहा कि मेरी तो जिंदगी में अंधेरा ही अंधेरा है। जी करता है जहर खा लूं। पेट में पल रहे बच्चे का कत्ल अपने माथे नहीं लेना चाहती। मेरा न सही, कम से कम वह अपने इस होने वाले बच्चे की खातिर ही लौट आए। आप किसी तरह से मेरी यह मिन्नत उस तक पहुंचा दो।
आशिक के आतंकी बनने से हताश उसकी मां ने कहा कि मेरा बेटा वापस आना चाहिए। वह नहीं आया तो हम सभी मर जाएंगे। मेरे अल्लाह, मुझे मेरा बेटा वापस दे देता। अगर हमसे कोई खता हुई तो उसे माफ कर दो। जिला शोपियां के साथ सटे पुलवामा के द्रबगाम में मंजूर का परिवार उसे तलाश रहा है।
उसकी बहन ने कहा कि वह पांच नवंबर को घर से गया था। वही हमारे घर का चिराग है। कोई उसे वापस लाने में हमारी मदद नहीं कर रहा है। मंजूर की मां ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि अगर किसी संगठन के साथ वह है तो उसे जल्द घर भेज दो। उसके जाने के बाद हम बेसहारा हो गए हैं। वह जहां भी हो उसे कहो बंदूक छोड़े और घर चला आए।