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Last Updated :जयपुर , गुरुवार, 1 फ़रवरी 2018 (17:25 IST)

उपचुनाव में कांग्रेस का परचम

उपचुनाव में कांग्रेस का परचम - Rajasthan bypoll election results
जयपुर। राजस्थान की दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट पर हुए चुनाव कांग्रेस ने भाजपा को हराकर तीनों सीटों पर कब्जा किया।  राजस्‍थान उपचुनाव में कांग्रेस ने तीनों सीटों पर कब्जा किया है। अलवर सीट से कांग्रेस उम्‍मीदवार करण सिंह यादव ने भाजपा के जसवंत सिंह यादव को 1,56,319 वोट से हरा दिया है। अजमेर में भी कांग्रेस के रघु शर्मा ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्‍मीदवार विवेक धाकड़ ने भाजपा के शक्ति सिंह को 12,976 मतों से हरा दिया है।
 
राजे सरकार को बड़ा झटका : राजस्थान में दो लोकसभा एवं एक विधानसभा उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से तीनों सीटें छीनकर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को करारा झटका दिया है,वहीं चुनाव में सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रभारी के रूप में काम संभालने वाले राजे मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों का भविष्य भी दांव पर लग गया है। प्रदेश के तीनों उपचुनाव में जीत तो तीन उम्मीदवारों के हिस्से में आई है लेकिन इसके परिणाम राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों, संगठन के पदाधिकारियों एवं मंत्री स्तर के दर्जा प्राप्त करीब तीस लोगों की साख पर बट्टा लग गया है। 



इस उपचुनाव में जीत के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूरी ताकत लगाकर न केवल धुआंधार चुनाव प्रचार किया बल्कि अलवर और अजमेर के आठ-आठ विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार की कमान अपने विश्वस्त मंत्रियों को सौंपकर वहां वोट बटोरने की जिम्मेदारी दी थी। अलवर और अजमेर की आठ-आठ विधानसभा सीटों में सात-सात पर भाजपा विधायक होने से अब उनके भी टिकट अगले चुनाव में कटने का खतरा हो गया है। 

प्रदेश भाजपा सरकार ने विकास के नाम पर मतदाताओं से समर्थन मांगा लेकिन चुनाव नजदीक आते आते विकास का मुद्दा पिछड़ गया और धर्म तथा जाति के नाम पर मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के प्रयास अंतिम समय तक चलते रहे। इन चुनावों में मतदाताओं ने प्रदेश की सरकार के प्रति नाराजगी, नौकरियों में भर्ती, किसानों की कर्ज माफी और स्थानीय समस्याओं के प्रति सरकार और उनके मंत्रियों की अनदेखी पर गुस्सा निकाला।  राजनीतिक विश्लेषकों का यह आकलन काफी हद तक सही लगता है कि पूरी सरकारी मशीनरी और मंत्रिमंडल के सदस्यों को मतदाताओं के मूड की भनक तक नहीं लगी। इस हार से राजे मंत्रिमंडल के अनेक सदस्यों की साख और भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। 

इन मंत्रियों में अलवर में श्रममंत्री जसवंत सिंह तो खुद ही उम्मीदवार थे और उनके सहयोग के लिए जल संसाधन मंत्री रामप्रताप, वन मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, खान मंत्री सुरेंद्र पाल सिंह टीटी, पीएचईडी मंत्री सुरेन्द्र गोयल, उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत मंत्री दर्जा प्राप्त रोहिताश्व शर्मा और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री बाबूलाल वर्मा डेरा डाले हुए थे।  इसी तरह अजमेर में सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान, पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़, स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ, उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, सहकारिता मंत्री अजय किलक, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिता भदेल, शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी, देवस्थान राज्य मंत्री राजकुमार रिणवा, मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर और उपमुख्य सचेतकों, संसदीय सचिवों तथा विधायकों की फौज प्रचार के लिए मैदान में उतारी गई थी लेकिन किसी भी मंत्री या नेता के इलाके में भाजपा अपनी साख कायम नहीं रख सकी।
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