जम्मू। जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के लिए दोनों ओर से खतरा सेना की नॉर्दन कमान के लिए चिंता की बात है। यह चिंता एक ओर पाकिस्तान द्वारा जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख की सीमाओं पर कारगिल जैसे प्रकरणों को दोहराने की तैयारियां हैं तो दूसरी ओर चीन से सटी सीमा पर सैनिक निर्माण, घुसपैठ व खूनी झड़पें भी चिंता का कारण हैं।
अभी तक नार्दन कमान के वरिष्ठ अधिकारी ऐसी चिंताओं को हल्के तौर पर लेते थे लेकिन अब वे परेशानी में हैं क्योंकि रक्षा सूत्र इसे स्वीकारते थे कि करगिल के 21 साल बाद भी पाकिस्तान बाज नहीं आया है। उनके मुताबिक सबूत मिल रहे हैं कि वह एक और कारगिल की तैयारी में है, जबकि चीन सीमा पर चीनी सेना की हरकतों को भी अब करगिल पार्ट 2 के नाम से पुकारा जाने लगा है।
वे बताते हैं कि पिछले एक अरसे में सीमा से सटे पाकिस्तानी गांवों का कायाकल्प हो गया है। रातोंरात पक्की सड़कें बना दी गई हैं। इकरामाबाद, बुधवाल, उच्ची बैंस, खोखर, चपराल जैसे इलाकों की सुध आखिर पाकिस्तान ने 67 साल बाद एकाएक कैसे ले ली, यह सवाल सभी को कचोट रहा है। रक्षा सूत्रों के मुताबिक असल में पाकिस्तान इस कोशिश में है कि हथियार और रसद पाकिस्तानी पोस्टों तक आसानी से पहुंच सकें।
एलओसी पर भी पाकिस्तानी चौकियों में भी अचानक हलचल बढ़ गई है। यहां पाकिस्तानी पोस्टों में 20 से 25 फुट के बड़े पक्के बंकर बन गए हैं। बंकर बनाने का काम जारी है। रक्षा सूत्र मानते हैं कि पक्की रोड फौज और बड़े-बड़े टैंक-हथियार बॉर्डर तक पहुंचाने के लिए बनती हैं। रिमोट एरिया में पक्की और चौड़ी सड़कें बनना चिंताजनक है। ऐसे में रक्षाधिकारी कहते हैं कि नया कारगिल हो सकता है।
यही नहीं पाकिस्तान के सियालकोट में नया बेस कैंप बनाया गया है, जहां सुरंग खोदने और तार काटने की खास ट्रेनिंग दी जा रही है। पूरा जोर तार काटने पर क्यों है। इसके प्रति वे कहते थे कि ये तैयारी एलओसी पर लगे कंटीले तार काट कर घुसपैठ बढ़ाने के लिए है।
चिंता सिर्फ पाकिस्तान की ओर से ही नहीं बल्कि चीन की ओर से भी बढ़ती सैनिक गतिविधियां, घुसपैठ और खूनी झड़पें चिंता का कारण बन गई हैं। भारतीय सेना के सूत्र इसे स्वीकार करते हैं कि चीन ने अक्साई चीन के कई क्षेत्रों में कई किमी लंबी सड़कों का निर्माण करने के साथ ही चीपचाप नदी के एक किनारे पर एक सैनिक हवाई अड्डे का निर्माण भी किया है। अधिकारियों के अनुसार, सिर्फ निर्माण ही नहीं किया है बल्कि चीन ने इस क्षेत्र में अपनी सेना के जवानों को बड़ी संख्या में भी तैनात किया है, जिनके साथ दो दिन पहले खूनी झड़पें भी हुई हैं।
चीनी सेना की इस कार्रवाई के फलस्वरूप भारतीय सेना ने 14वीं कोर के सैनिकों की कई यूनिटों को उन क्षेत्रों में तैनात कर दिया है जो अक्साई चीन की 60 किमी लंबी सीमा से सटी हुई हैं। फिलहाल रक्षाधिकारी इस सीमा पर स्थिति नियंत्रण में होने के साथ साथ तनावपूर्ण अवश्य बताते हैं।
इन परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए भारतीय सेना अपनी तैयारियों में जुटी है। उसके लिए परेशानी अक्साई चीन की सीमा पर सैनिकों की तैनाती के प्रति वैसी ही है जिस प्रकार करगिल के मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना के इरादों से निपटने में आ रही है।
असल में अक्साई चीन की सीमा पर प्राकृतिक परिस्थितियां करगिल सीमा से अधिक भयानक हैं। इस क्षेत्र में मौसम सारा साल एक जैसा रहता है। यही कारण था कि दोनों देशों ने कुछ समझौते कर इस सीमा से अपने सैनिकों को हटाने के प्रति निर्णय लिया था जिसके बावजूद अब दोनों ही पक्ष हजारों सैनिकों को तैनात करने पर मजबूर हुए हैं।
रक्षाधिकारी अक्साई चीन क्षेत्र में बढ़ती चीनी सेना की गतिविधियों को गंभीर मानते हैं साथ ही करगिल क्षेत्र में पाक सेना की गतिविधियों के मद्देनजर तथा अक्साई चीन का क्षेत्र सियाचिन हिमखंड के साथ जुड़ा होने के कारण वे इसे चिंताजनक स्थिति भी मानते हैं।