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Last Updated : सोमवार, 21 फ़रवरी 2022 (09:18 IST)

ठाकरे- केसीआर मुलाकात से NDA को नहीं कोई खतरा, एंटी-बीजेपी बैठक पर बोले अठावले

ठाकरे- केसीआर मुलाकात से NDA को नहीं कोई खतरा, एंटी-बीजेपी बैठक पर बोले अठावले - No threat to NDA from Thackeray-KCR meeting
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने रविवार को कहा कि भले ही शिवसेना, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और अन्य पार्टियां राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा मोर्चा गठित करने के लिए साथ आ जाएं, लेकिन इससे राजग को कोई खतरा नहीं है, क्योंकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में लोग खुश हैं।

उन्होंने यह भी विश्वास जताया कि भाजपा वर्ष 2024 के आम चुनाव और पांच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करेगी।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ लाने की कोशिश के तहत रविवार को महाराष्ट्र के अपने समकक्ष उद्धव ठाकरे से मुंबई में उनके आवास पर मुलाकात की।

दोनों नेताओं ने बदलाव को वक्त की जरूरत बताया। बाद में राव ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार से भी मुलाकात की।

इस घटनाक्रम पर अठावले ने पुणे में संवाददाताओं से कहा, "भले ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा प्रमुख शरद पवार से मुलाकात कर तीसरा मोर्चा बनाने पर बात की, लेकिन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को इससे कोई खतरा नहीं है।"

उन्होंने कहा, "हम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम कर रहे हैं और लोग खुश हैं। भले ही शिवसेना और अन्य दल तीसरा मोर्चा गठित कर लें, तो भी हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वर्ष 2024 में भाजपा फिर से सत्ता में आएगी। पांच राज्यों में भी हम जीतेंगे, जहां वर्तमान में चुनाव जारी हैं।"

अठावले ने कहा कि जिस तरह भाजपा ने 2014 में 282 सीटें और 2019 में 303 सीटें जीती थीं, उसी तरह पार्टी को 2024 के चुनाव में 404 सीटें मिलेंगी। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना और विपक्षी भाजपा के नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप को लेकर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ने कहा कि दोनों दलों के बीच अब जुबानी जंग बंद हो जानी चाहिए।

उन्होंने कहा, "मैं उद्धव ठाकरे से शिवसेना और भाजपा के बीच चल रही जुबानी जंग के बारे में बात करूंगा। हम दोस्त रहे हैं और हाल में हमारे रास्ते अलग हुए।

हालांकि, हमें राज्य पर शासन करने के लिए फिर से एक साथ आना चाहिए और समान अवधि के लिए मुख्यमंत्री का पद साझा करना चाहिए। अगर शिवसेना भाजपा के साथ सत्ता साझा करती है, तो सरकार को और अधिक कोष मिल सकता है और राज्य में बेहतर तरीके से विकास हो सकता है।" 
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