- महाराष्ट्र सरकार की मसौदा अधिसूचना को कानून में तब्दील किया जाए
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आरक्षण मुद्दे का समाधान होने तक लोकसभा चुनाव न कराने की अपील
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सभी मराठों से विरोध प्रदर्शन में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह
Manoj Jarange's warning regarding Maratha reservation movement : मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार को कुनबी मराठों के 'रक्त संबंधियों' पर मसौदा अधिसूचना को 2 दिनों के भीतर लागू करना चाहिए अन्यथा इस समुदाय के सदस्य फरवरी से राज्यभर में अहिंसक तरीके से सड़क नाकेबंदी करेंगे।
जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में मराठा समुदाय के सदस्यों की एक बैठक में जरांगे ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन और विरोध के दौरान हिंसा का सहारा नहीं लेने की बात कही। इससे पहले दिन में जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक कानूनी समीक्षा में टिक नहीं पाएगा।
जरांगे ने अपनी मांग दोहराई कि कुनबी मराठों के 'रक्त संबंधियों' पर महाराष्ट्र सरकार की मसौदा अधिसूचना को एक कानून में तब्दील किया जाए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले को गंभीरता से लेने और आरक्षण मुद्दे का समाधान होने तक (आगामी लोकसभा) चुनाव न कराने की भी अपील की।
महाराष्ट्र विधानमंडल ने मंगलवार को एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सर्वसम्मति से एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला एक विधेयक पारित किया, लेकिन जरांगे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत इस समुदाय के लिए आरक्षण की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।
मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी में रखना पूरी तरह से न्यायविरुद्ध होगा : विधेयक में कहा गया है कि बड़ी संख्या में जातियों और समूहों को पहले से ही आरक्षित श्रेणी में रखा गया है, जिनका कुल आरक्षण प्रतिशत 52 है, ऐसे में मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में रखना पूरी तरह से न्यायविरुद्ध होगा। पिछले महीने राज्य सरकार द्वारा जारी मसौदा अधिसूचना के अनुसार, यदि किसी मराठा व्यक्ति के पास यह दिखाने के लिए सबूत है कि वह कुनबी जाति से है, तो उस व्यक्ति के रक्त संबंधियों को भी कुनबी के रूप में मान्यता दी जाएगी।
जरांगे ने बुधवार को कहा कि सरकार ने मराठों के रिश्तेदारों को आरक्षण देने के लिए एक मसौदा अधिसूचना (इस महीने की शुरुआत में) जारी की है, लेकिन उन्होंने इसे लागू नहीं किया और विधानसभा के विशेष सत्र में भी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई। कुनबी ओबीसी श्रेणी में आते हैं और उन्हें आरक्षण का लाभ मिलता है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि कुनबी मराठों के रक्त संबंधियों को प्रमाण पत्र देने के लिए पिछले महीने जारी मसौदा अधिसूचना की समीक्षा चल रही है, क्योंकि छह लाख आपत्तियां भी प्राप्त हुई हैं। जरांगे ने बुधवार को कहा कि सरकार ने मराठों के रिश्तेदारों को आरक्षण देने के लिए एक मसौदा अधिसूचना (इस महीने की शुरुआत में) जारी की है, लेकिन उन्होंने इसे लागू नहीं किया और विधानसभा के विशेष सत्र में भी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई।
लोगों को अब भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भरोसा : जरांगे ने कहा, लोगों को अब भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भरोसा है। उन्हें स्वीकार करना चाहिए कि उन्होंने (आरक्षण देने को लेकर) पहले जो शपथ ली थी, वह अब भी अधूरी है। उन्होंने कहा, मराठा समुदाय के लोग समझ गए हैं कि यह वही आरक्षण है, जो उन्हें पहले भी दिया गया था (लेकिन बाद में हटा दिया गया था)।
उन्होंने कहा, मंगलवार को विशेष विधानसभा सत्र में दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण से मराठा समुदाय का कोई लेना-देना नहीं है। यह कानूनी समीक्षा में टिक नहीं पाएगा। उन्होंने कहा, उन्हें (मराठों के) रिश्तेदारों के लिए आरक्षण लागू करने में आने वाली बाधाओं के बारे में बताना चाहिए। जरांगे ने दावा किया कि सरकार को मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के अपने फैसले पर पछतावा होगा, क्योंकि इसकी घोषणा के बाद राज्य में किसी ने जश्न नहीं मनाया।
मसौदा अधिसूचना को 2 दिनों के भीतर लागू किया जाए : मराठा समुदाय के सदस्यों के साथ एक बैठक के दौरान, जरांगे ने मांग की कि मसौदा अधिसूचना को दो दिनों के भीतर लागू किया जाए, ऐसा न करने पर उन्होंने राज्य के विभिन्न गांवों, कस्बों और शहरों में अहिंसक 'रास्ता रोको' आंदोलन शुरु करने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अधिसूचना को लागू करने के लिए (संबंधित) अधिकारियों को ज्ञापन दें।
उन्होंने कहा कि तीन मार्च को हर जिला स्तर पर 'रास्ता रोको' विरोध प्रदर्शन भी किया जाएगा। उन्होंने सभी मराठों से विरोध प्रदर्शन में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आंदोलन का उद्देश्य गैर-विघटनकारी होना है और प्रतिभागियों से प्रदर्शन के बाद अपने काम या खेतों पर लौटने की उम्मीद की जाती है।
मराठा समुदाय के बुजुर्ग सदस्य 24 से 29 फरवरी तक भूख हड़ताल करेंगे : कार्यकर्ता ने जोर देकर कहा कि 'रास्ता रोको' विरोध प्रदर्शन से परीक्षा देने वाले छात्रों को असुविधा नहीं होनी चाहिए और यदि छात्र फंस गए हैं, तो मराठा कार्यकर्ता परीक्षा हॉल तक उनके सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी लेंगे। उन्होंने कहा कि अगर आरक्षण लागू नहीं किया गया तो मराठा समुदाय के बुजुर्ग सदस्य 24 से 29 फरवरी तक भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को होने वाले किसी भी नुकसान के लिए मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस जिम्मेदार होंगे।
किसी भी राजनेता को अपने दरवाजे पर न आने दें : जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय के लगभग 20 लाख वरिष्ठ सदस्य राज्यभर में भूख हड़ताल में हिस्सा लेंगे। उन्होंने समुदाय के सदस्यों से चुनाव के दौरान आचार संहिता का पालन करने की भी अपील की, साथ ही उनसे आग्रह किया कि वे राजनीतिक प्रचारकों को अपने गांवों या घरों में न आने दें। उन्होंने कहा, किसी भी राजनेता को अपने दरवाजे पर न आने दें। उन्होंने सरकार से यह भी अपील की कि जब तक उनकी आरक्षण की मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक चुनाव न कराएं।
जरांगे ने चेतावनी दी कि यदि चुनाव हुए, तो गांवों में (चुनाव प्रचार से संबंधित) वाहनों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी और प्रदर्शनकारी उन्हें जब्त कर लेंगे तथा गौशालाओं में खड़ा कर देंगे। बैठक में उन्होंने कहा, मराठा समुदाय के जनप्रतिनिधियों से पूछें कि क्या वे आरक्षण का समर्थन करेंगे और उनसे 'सगे सोयरे' पर अधिसूचना लागू करने के लिए कहेंगे। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour