Locust Swarm Attack : कोरोना काल में भारत पर टूटी उड़ने वाली आफत, करोड़ों की तादाद में छाया टिड्डी दल
कोरोना काल में भारत में घुसपैठिए की इंट्री हो गई है। कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत में करोड़ों टिड्डी दल ने हमला बोल दिया है। यह उड़ने वाली आफत किसानों की दुश्मन बन गई है। ईरान, अफगानिस्तान से पाकिस्तान आए टिड्डी दल ने राजस्थान के रास्ते भारत में प्रवेश कर लिया है। इस टिड्डी दल से कई राज्यों में हजारों हैक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा है। भारत में टिड्डियों का हमला जुलाई से सितंबर में होता था, लेकिन इस बार यह हमला जल्द हो गया। कोरोना काल में चल रहे लॉकडाउन ने टिड्डी दल की रफ्तार को और तेज कर दिया है। 27 साल का सबसे खतरनाक टिड्डी हमला माना जा रहा है।
खबरों के अनुसार अब तक राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा की फसल घुसपैठिए टिड्डी दल ने खराब कर दी है। अब यह टिड्डी दल उत्तरप्रदेश में घुसपैठ कर रहा है। इसके बाद इसके दिल्ली की ओर बढ़ने की आशंका है। टिड्डियों का यह दल हवाकी दिशा में उड़ता है।
पल में चट कर जाता है खड़ी फसल : इस दल में एक ट्डिडी का वजन सिर्फ 2 ग्राम होता है और वह उतना ही खाती है। जब यही टिड्डी लाखों-करोड़ों की तादाद में झुंड बनाकर हमला कर दे, तो चंद मिनटों में ही पूरी की पूरी फसल तबाह कर सकती है। एक किमी के दायरे में फैले झुंड में 15 करोड़ से ज्यादा टिड्डियां हो सकती हैं। इनका एक झुंड 35 हजार लोगों जितना खाना खा सकता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार एक टिड्डी दिनभर में 100 से 150 किमी तक उड़ सकती। यह 20 से 25 मिनट में ही पूरी फसल बर्बाद कर सकती है। इन्हीं सब कारणों से इसे 27 साल में सबसे बड़ा टिड्डी हमला माना जा रहा है। देश में अब तक सबसे बड़ा टिड्डियों का हमला साल 1993 में हुआ था।
तेज प्रजनन क्षमता : फसलों को बर्बाद करने वाली टिड्डों की यह प्रजाति रेगिस्तानी होती है, जो सुनसान इलाकों में पाई जाती है। यूनाइटेड नेशन के अंतर्गत आने वाले फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) के अनुसार रेतीले इलाकों में पाई जाने वाली टिड्डियां सबसे खतरनाक होती हैं। इनकी संख्या काफी तेजी से बढ़ती है। मादा टिड्डी एक बार में 150 तक अंडे देती है। इनकी सख्या तेजी से दुगुनी-तिगुनी होती है।
पाकिस्तान ने घोषित की नेशनल इमरजेंसी : भारत में ये ट्डिडी दल पाकिस्तान से आते हैं। पाकिस्तान में ईरान के जरिए आती हैं। इस वर्ष फरवरी में टिड्डियों के हमलों को देखते हुए पाकिस्तान ने नेशनल एमरजेंसी घोषित कर दी थी। इसके बाद 11 अप्रैल से भारत में भी टिड्डियों का आना शुरू हो गया। वर्ष की शुरुआत में टिड्डियों ने अफ्रीकी देश केन्या में भयंकर तबाही मचाई थी। वहां 70 साल में पहली बार ऐसा खतरनाक हमला हुआ था।
बजा रहे हैं थालियां और डीजे : लोग इन टिड्डी को भगाने के लिए खेतों में थालियां और डीजे बजा रहे हैं। खेतों में धुआं भी कर रहे हैं। इससे यह टिड्डी दल भाग जाते हैं। कई राज्यों में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से कीटनाशक का छिड़काव किया जा रहा है।
ड्रोन से टिड्डी दल का खात्मा : केंद्र सरकार ने टिड्डी नियंत्रण की मुहिम में ड्रोन्स का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 21 मई को शर्तों के साथ टिड्डों के खिलाफ मुहिम छेड़ने के लिए 'रिमोटली पाइलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम' को मंज़ूरी दे दी है।
सरकार ने टेंडर के द्वारा 2 कंपनियों की पहचान कर ली है। ड्रोन्स के जरिए बड़े पेड़ों और दुर्गम इलाकों में एरियल स्प्रेइंग करने की तयारी है। सरकार ने 60 अतिरिक्त स्प्रेयर यूनाइटेड किंगडम से मंगाने का फैसला किया है। साथ ही, 55 नई गाड़ियां कीटनाशकों के छिड़काव के लिए खरीदने का निर्णय लिया गया है। अब तक 33 जिलों में टिड्डों के खिलाफ कार्रवाई की गई है जिनमें 20 राजस्थान और 9 मध्यप्रदेश में हैं।