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Last Modified: शनिवार, 15 अक्टूबर 2022 (21:41 IST)

Global Hunger Index 2022 में भारत की रैंकिंग पर केंद्र सरकार का बड़ा बयान, बताया- गलत हैं आंकड़े

Global Hunger Index 2022 में भारत की रैंकिंग पर केंद्र सरकार का बड़ा बयान, बताया- गलत हैं आंकड़े - Index is an erroneous measure of hunger and suffers from methodological issues : India rubbishes Global Hunger Report 2022
नई दिल्ली। दुनिया में भुखमरी के विषय पर अद्यतन वार्षिक रिपोर्ट- ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index ) 2022 में भारत एक साल पहले के 101 स्थान से नीचे खिसक कर 107वें स्थान पर पहुंच गया है। रिपोर्ट पर भारत सरकार की ओर से बयान आया है।  सरकार ने कहा कि भारत की छवि को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में धूमिल करने के लिए प्रयास किया गया है जो अपनी आबादी की खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है।

खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। सालाना गलत सूचना जारी करना ग्लोबल हंगर इंडेक्स की पहचान लगती है। 
 
 केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत को 107वें स्थान पर रखना देश की छवि को कि एक राष्ट्र जो अपनी आबादी की खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है के रूप में खराब किए जाने के निरंतर प्रयास का हिस्सा है। केंद्र ने कहा कि सूचकांक गंभीर गणना प्रणाली मुद्दों से ग्रस्त है और इसकी गणना त्रुटिपूर्ण है।
 
महिला और बाल विकास मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जुलाई 2022 में यह मामला खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के समक्ष उठाया गया था कि एफआईईएस (खाद्य असुरक्षा अनुभव पैमाना) सर्वेक्षण मॉड्यूल डेटा के आधार पर इस तरह के अनुमानों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसे सांख्यिकीय निष्कर्ष गुण-दोष पर आधारित नहीं होंगे।
मंत्रालय ने कहा कि हालांकि, इस बात का आश्वासन दिया जा रहा था कि इस मुद्दे पर और भी काम किया जाएगा। लेकिन, इस तरह के तथ्यात्मक मुद्दों के बावजूद वैश्विक भूख सूचकांक रिपोर्ट का प्रकाशन खेदजनक है।
 
वैश्विक भूख सूचकांक 2022 में भारत की स्थिति और खराब हुई है तथा वह 121 देशों में 107वें नंबर पर है जबकि बच्चों में ‘चाइल्ड वेस्टिंग रेट’ (ऊंचाई के हिसाब से कम वजन) 19.3 प्रतिशत है जो दुनिया के किसी भी देश से सबसे अधिक है।
 
मंत्रालय ने कहा कि भारत की छवि को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में धूमिल करने के लिए जारी प्रयास एक बार फिर दिखाई दे रहा है, जो अपनी आबादी की खाद्य सुरक्षा और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है। गलत सूचना साझा करना वैश्विक भूख सूचकांक की पहचान बनता दिख रहा है। 
 
केंद्र ने कहा कि सूचकांक की गणना के लिए इस्तेमाल किए गए चार संकेतकों में से तीन बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं और ये पूरी आबादी का प्रस्तुतीकरण नहीं कर सकते।
 
सरकार ने कहा कि चौथा और सबसे महत्वपूर्ण संकेतक ‘कुपोषित आबादी का अनुपात’ (पीओयू) का अनुमान 3000 के बहुत छोटे नमूने के आकार पर किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है। सरकार ने कहा कि यह रिपोर्ट जमीनी हकीकत से काफी अलग तस्वीर पेश करने वाली है।
 
वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) के जरिए वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर भूख पर नजर रखी जाती है और उसकी गणना की जाती है। 29.1 अंकों के साथ भारत में भूख का स्तर ‘गंभीर’ है। भारत 2021 में 116 देशों में 101वें नंबर पर था जबकि 2020 में वह 94वें पायदान पर था। भाषा Edited by Sudhir Sharma
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