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  4. In 1984, the workers started shouting 'Netaji mare mare netaji mare'...

जानिए ऐसा क्या हुआ था 1984 में कि कार्यकर्ता चिल्लाने लगे ‘नेताजी मारे गए नेताजी मारे गए’...

mulayam singh
लखनऊ, उत्तर प्रदेश के अंदर मुलायम सिंह यादव से जुड़े बहुत सारे किस्से हैं, जिन्हें याद कर कार्यकर्ता भावुक होते हुए उन्हें याद कर रहे हैं लेकिन सबसे बड़ा किस्सा वह जिसमें उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि नेताजी मारे गए नेताजी मारे गए कहकर चिल्लाना शुरू करो। और कार्यकर्ताओं ने वैसा ही किया जैसा नेता जी ने कहा और ऐसा कहलाकर नेता जी ने कई कार्यकर्ताओं की जान बचा ली थी।

क्या था वाक्य : 4 मार्च 1984 और रविवार दिन था। मुलायम सिंह यादव इटावा और मैनपुरी में एक रैली में सम्मिलित होने के लिए पहुंचे हुए थे और रैली समापन के बाद वह अपने मित्र से मिलने के लिए उनके घर जा रहे थे इस दौरान उनके साथ सैकड़ों कार्यकर्ता भी पीछे चल रहे थे। कार्यकर्ताओं के साथ मित्र से मुलाकात करने के बाद मुलायम सिंह यादव वापस पार्टी कार्यालय के लिए निकले ही थे कि अचानक ताबड़तोड़ गोलियां उनकी गाड़ी के ऊपर चलने लगे और इस दौरान समर्थक अपने नेता को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे थे लेकिन मुलायम सिंह यादव को जान से मारने की तैयारी कर कर आए हमलावर लगातार मुलायम सिंह की गाड़ी पर गोली चला रहे थे इसी दौरान मुलायम सिंह की गाड़ी अनियंत्रित होकर सूखे नाले में गिर गई

मुलायम सिंह को यह एहसास हो गया कि गोली चलाने वाले उनकी हत्या करने के इरादे से आए हैं, लेकिन मुलायम सिंह यादव ने खुद की जान की परवाह न करते हुए कार्यकर्ताओं व गाड़ी में उनके साथ मौजूद लोगों की जान बचाने के लिए कहा कि जोर- जोर से चिल्लाओ कि "नेताजी मारे गए नेताजी मारे गए" पास में मौजूद कार्यकर्ता समझ नहीं पाए कि नेता जी ऐसा क्यों कह रहे हैं, लेकिन मुलायम सिंह यादव के आदेश को मानते हुए कार्यकर्ता चिल्लाने लगे नेताजी मारे गए नेताजी मारे गए बस फिर क्या था अंधाधुंध गोली चला रहे हमलावरों को लगा कि नेताजी सच में मर गए। उन्हें मरा हुआ समझकर हमलावरों ने गोलियां चलाना बंद कर दीं और वहां से भागने लगे। लेकिन पुलिस की गोली लगने से एक हमलावर उसी जगह मौत हो गई और हमलावर बुरी तरह घायल हो गया।

कार्यकर्ताओं के प्रति था अटूट प्रेम : मुलायम सिंह यादव सुरक्षाकर्मी को एक जीप में 5 किलोमीटर दूर कुर्रा पुलिस स्टेशन तक ले गए। लेकिन जब एक कार्यकर्ता ने उनसे पूछा कि आपने ‘नेताजी मारे गए नेताजी मारे गए’ कहने के लिए क्यों बोला तो मुलायम सिंह यादव ने मुस्कुराते हुए अंदाज में कहा मुझे आभास हो गया था कि हमलावर मुझे मारने आए हैं, लेकिन जिस तरह से गोली चला रहे थे उन गोलियों का शिकार तुम सब भी हो सकते थे, इसलिए तुम्हें बचाना जरूरी था इसलिए मैंने ऐसा किया बस फिर क्या था।

कार्यकर्ताओं के प्रति नेताजी का अटूट प्रेम देख अन्य कार्यकर्ता मुलायम सिंह यादव जिंदाबाद के नारे लगाने लगे और देखते ही देखते देश व प्रदेश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव बड़े नेताओं में शुमार हो गए।
Edited: By Navin Rangiyal
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