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Last Modified: गुरुवार, 26 दिसंबर 2019 (21:39 IST)

CAA हिंसा पर बोलकर घिरे बिपिन रावत, कांग्रेस ने बताया भाजपा नेता

General Bipin Rawat | CAA हिंसा पर बोलकर घिरे बिपिन रावत, कांग्रेस ने बताया भाजपा नेता
नई दिल्ली। CAA हिंसा पर बयान देकर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत (Army Chief General Bipin Rawat) विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। कांग्रेस ने तो उनके बयान की आलोचना करते हुए उसे भाजपा नेता जैसा बयान करार दिया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के संदर्भ में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की एक टिप्पणी को ‘आपत्तिजनक और अनैतिक’ करार देते हुए कहा कि ऐसा लगा कि रावत भाजपा नेता हों।

उन्होंने कहा कि ऐसा लगा कि वह एक ऐसे भाजपा नेता हैं, जिसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ के रूप में पदोन्नति या पुरस्कार मिल रहा है। उन्होंने कहा नसीहत दी कि रावत को हमारी सेना की निष्पक्षता को बरकरार रखने के लिए संयम बरतने की जरूरत है।

पूर्व नौसेना प्रमुख ने टिप्पणी को गलत बताया : पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल. रामदास ने रावत के बयान को गलत बताया। उन्होंने कहा कि सैन्य बलों के लोगों को राजनीतिक ताकतों के बजाय देश की सेवा करने के दशकों पुराने सिद्धांत का पालन करना चाहिए।

रामदास ने कहा कि सेना की तीनों सेवाओं में एक आंतरिक संहिता है, जिसमें व्यवस्था है कि उन्हें निष्पक्ष और तटस्थ रहना चाहिए। ये नियम दशकों से सशस्त्र बलों का आधार हैं। उन्होंने कहा कि यह नियम बहुत स्पष्ट है कि हम देश की सेवा करते हैं न कि राजनीतिक ताकतों की।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि किसी के पद की सीमाओं को जानना ही नेतृत्व है। नागरिक सर्वोच्चता के विचार को समझने तथा अपने अधीन मौजूद संस्थान की अखंडता को सुरक्षित रखने के बारे में है।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट किया कि नेता वह नहीं होते जो लोगों को आगजनी या उपद्रव में हथियार उठाने के लिए प्रेरित करे। मैं जनरल साहब की बातों से सहमत हूं, लेकिन नेता वे नहीं होते हैं जो अपने समर्थकों को सांप्रदायिक हिंसा के नरसंहार में लिप्त होने देते हैं। क्या आप मुझसे सहमत हैं जनरल साहेब?

माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी जनरल रावत के बयान के लिए उनकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि थल सेना प्रमुख के इस बयान से स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार के दौरान स्थिति में कितनी गिरावट आ गई है कि सेना के शीर्ष पद पर बैठा व्यक्ति अपनी संस्थागत भूमिका की सीमाओं को लांघ रहा है।

उल्लेखनीय है कि थलसेना प्रमुख जनरल रावत ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि नेता हमारे शहरों में आगजनी और हिंसा के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेज के छात्रों सहित जनता को उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि नेता वह होते हैं, जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं।

जनरल रावत थलसेना प्रमुख के तौर पर 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएएस) नियुक्त किए जाने की संभावना है। थलसेना प्रमुख पर अपने तीन साल के कार्यकाल में राजनीतिक रूप से तटस्थ नहीं रहने के भी आरोप लगे हैं।