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Last Modified: रविवार, 23 अक्टूबर 2022 (14:41 IST)

FPI ने इस महीने की 6000 करोड़ रुपए की निकासी

FPI ने इस महीने की 6000 करोड़ रुपए की निकासी - FPI withdraws Rs 6000 crore this month
नई दिल्ली। विदेशी निवेशकों ने इस महीने में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 6000 करोड़ रुपए की निकासी की है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में आ रही गिरावट से इस निकासी को बल मिला। इसके साथ ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने वर्ष 2022 के कैलेंडर साल में अब तक कुल 1.75 लाख करोड़ रुपए की निकासी कर ली है।

कोटक सिक्योरिटीज में इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि आने वाले समय में भी एफपीआई की गतिविधियों के उतार-चढ़ाव से भरपूर रहने की ही स्थिति दिख रही है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक जोखिम बने रहने, मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर और बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि की उम्मीद से एफपीआई की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, एफपीआई के निकट अवधि में ज्यादा बिक्री करने की संभावना नहीं है लेकिन डॉलर में कमजोरी आने के बाद ही वे खरीदार की स्थिति में लौटेंगे। इस तरह एफपीआई का रुख अमेरिकी मुद्रास्फीति के रुझान और फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नजरिए पर निर्भर करेगा।

डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने अक्टूबर में अब तक 5992 करोड़ रुपए की निकासी भारतीय बाजार से कर ली है। यह जरूर है कि पिछले कुछ दिनों में उनकी निकासी की मात्रा में थोड़ी गिरावट आई है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि एफपीआई की बिकवाली के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों के खरीदार बने रहने से शेयर बाजारों को मजबूती मिल रही है।

विजयकुमार ने कहा, अगर एफपीआई पहले बेचे गए शेयर को ही आज के समय में खरीदना चाहेंगे तो उन्हें उसकी बढ़ी हुई कीमत चुकानी होगी। यह अहसास नकारात्मक माहौल में भी एफपीआई की बिकवाली को रोकने का काम कर रहा है।

सितंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से करीब 7600 करोड़ रुपए की निकासी की थी। डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत गिरने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सख्त रुख से एफपीआई के बीच बिकवाली का जोर रहा था।

अपसाइड एआई की सह-संस्थापक कनिका अग्रवाल ने कहा, भारत से संबंधित किसी जोखिम के बजाय डॉलर को मिल रही मजबूती विदेशी निवेशकों की इस निकासी की मुख्य वजह रही है। बीते सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपए से भी नीचे पहुंच गया जो कि इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है।

एफपीआई ने खासतौर पर वित्त, एफएमसीजी और आईटी क्षेत्रों में बिकवाली की है। इक्विटी बाजारों के अलावा विदेशी निवेशकों ने ऋण बाजार से भी अक्बूटर में 1950 करोड़ रुपए की निकासी की है।(भाषा)
Edited by : Chetan Gour
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