ट्रेनों पर नहीं होगा कोहरे का असर, इस तरह चलेगी रेलगाड़ी...
नई दिल्ली। रेलवे ने कोहरे की समस्या और गाड़ियों की समयबद्धता पर निगरानी रखने के उद्देश्य से सभी दस हजार इंजनों को अंतरिक्ष तकनीक पर आधारित ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम से लैस करने की योजना बनाई है और इसकी शुरुआत दिल्ली मुंबई मार्ग से की जाएगी।
रेलवे बोर्ड में सदस्य (यातायात) मोहम्मद जमशेद ने कहा कि सबसे पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली मुंबई मार्ग पर गाड़ियों को जीपीएस प्रणाली से लैस किया जाएगा। इस प्रणाली से गाड़ियों के परिचालन की सीधी निगरानी की जा सकेगी। इससे कैब सिगनलिंग की प्रणाली भी लागू की जा सकेगी जिससे कोहरे आदि कम दृश्यता वाली परिस्थितियों में भी गाड़ियों का परिचालन सुचारू रूप से संभव हो सकेगा।
जमशेद ने बताया कि यह प्रणाली इसरो से ली गई तकनीक पर आधारित है जिसे रेलवे के अधिकारियों ने विकसित किया है। इसका मुगलसराय एवं गया के बीच तथा पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल में परीक्षण चल रहा है और उसके परिणाम बहुत सकारात्मक एवं उत्साहवर्द्धक हैं।
उन्होंने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट अगले एक दो माह में शुरू होने की संभावना है। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद देश में सभी दस हजार से अधिक लोकोमोटिव्स में इसे लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए इंजन की छत पर एक फुट का एक वर्गाकार फ्रेम और स्टील प्लेट लगानी होगी जिसमें जीपीएस चिप लगी होगी तथा केबिन में एक स्क्रीन होगा जो आगे पीछे सिगनलों की स्थिति बताएगा। इससे लोकोपायलट को बाहर लगे सिग्नल देखने की ज़रूरत नहीं रह जाएगी।
उन्होंने कहा कि रेलवे ने इसके लिए वेंडर की तलाश शुरू कर दी है और टेंडर के माध्यम से इसे शुरू किया जाएगा। इसके देशव्यापी क्रियान्वयन में इंजनों को अनुरक्षण के दौरान सभी कार्यशालाओं में इसे लगाना शुरू किया जाएगा।
जमशेद ने बताया कि इस तकनीक को इस साल उपयोग में लाना संभव नहीं है इसलिए रेलवे ने कोहरे को ध्यान में रखकर व्यापक इंतजाम किए हैं। उत्तर भारत में एक दिसंबर से 13 फरवरी के बीच जम्मू से लेकर बिहार तक के इलाके में 23 जोड़ी गाड़ियां रद्द कर दी गई हैं। 14 जोड़ी गाड़ियों की आवृत्ति घटाई गई है, चार जोड़ी गाड़ियों को आंशिक रद्द कर दी गई हैं और दो जोड़ी गाड़ियों को परिवर्तित मार्ग से चलाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि देश में विद्युतगृहों में कोयले की मांग अधिक होने के कारण कोयला ढुलाई बढ़ गई है जिससे रेलवे को इस बीच कोयला स्पेशल गाड़ियों के 400 से अधिक रैक रोजाना चलाने होंगे। (वार्ता)