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Last Modified: शनिवार, 11 फ़रवरी 2023 (23:36 IST)

कभी बिना टिकट भी पकड़े गए थे धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री, लेकिन...

कभी बिना टिकट भी पकड़े गए थे धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री, लेकिन... - Dhirendra Krishna Shastri was once caught without a ticket
नई दिल्ली। बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री किसी समय बिना टिकट भी पकड़े गए थे, लेकिन वे कुछ 'चमत्कार' दिखाकर पकड़ने वाले टीसी से ही 1100 रुपए वसूल लाए। उन्होंने कहा कि जिसका गुरु बलवान होता है, उसका चेला पहलवान होता है। हालांकि उन्होंने कहा कि वे न तो चमत्कारी हैं और न ही साधु-संत हैं। 
 
धीरेन्द्र शास्त्री ने इंडिया टीवी के मशहूर कार्यक्रम में बातचीत करते हुए एक सवाल के जवाब में कहा कि हम ऐसी कोई भी लीला नहीं करते, जिससे फंस जाएं। हम किसी से दान भी नहीं लेते, लेकिन यदि कोई व्यक्ति गुरु मानकर कुछ देता है तो हम उसे स्वीकार करते हैं। हम तो उस परंपरा से आते हैं, जहां एक शिष्य ने गुरु को अपना अंगूठा काटकर दे दिया था। 
 
कैसे जान लेते हैं मन की बात : धीरेन्द्र शास्त्री ने बताया कि ईष्ट की कृपा से हमें अनुभव हो जाता है कि ऐसा होगा और हम उसी बात को कागज पर लिखकर दे देते हैं। हम भगवान नहीं हैं। सब गुरु और हनुमान जी की कृपा है। हनुमानजी सिर्फ आप पर ही मेहरबान क्यों? इस सवाल के जवाब में शास्त्री ने कहा कि हनुमानजी के लाखों भक्त हैं, लेकिन हमने विश्व के लिए मांगा है, जबकि लोगों ने खुद के लिए मांगा होगा। शायद कुछ ज्यादा ही घनिष्ठता होगी हमारी हनुमानजी से। 
 
उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि मैं चमत्कारी हूं। बागेश्वर धाम के नाम से पीड़ितों के चेहरों पर मुस्कराहट आती है तो इसमें बुराई क्या है। कैंसर अस्पताल की बात पर वे कहते हैं कि दवा और दुआ दोनों ही आवश्यक है। डॉ. भी ऑपरेशन के बाद कहता है कि प्रार्थना करिए सब ठीक हो। हमें न धन प्रिय है, न मान प्रिय है, न सम्मान प्रिय है, हमें सिर्फ हनुमान प्रिय हैं। दुनिया का प्रत्येक भक्त धनवान है, जिसके जीवन में हनुमान हैं। 
 
हिंसा का समर्थन नहीं : हिन्दुओं को हथियार रखने की बात पर धीरेन्द्र शास्त्री कहते हैं कि मैं आत्मरक्षा में भाला रखने की बात करता हूं। यह बात हमारी ऋषि परंपरा में भी कही गई है। जहां तक बुलडोजर रखने की बात है तो टेक्नोलॉजी के हिसाब से हमें भी बदलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मैंने कभी भी हिंसा का समर्थन नहीं किया, लेकिन जब सनातन की बात उठती है, षड्यंत्र शुरू हो जाते हैं। मैं हमेशा सनातन की बात करता रहूंगा। हालांकि हमें मुस्लिमों से न कोई आपत्ति है न ही ईसाइयों से। हम सिर्फ मानवता के पुजारी हैं। हम किसी को हिंसक भाषा के उपयोग की छूट नहीं देते। 
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