नीतीश की विदाई तय, बिहार में भी भाजपा कर सकती है महाराष्ट्र फॉर्मूले पर काम
Nitish Kumar set to step down as Chief Minister: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी अब लगने लगा है कि विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2025) के बाद बहुमत मिलने पर भाजपा किसी भी सूरत में उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। बताया जा रहा है कि नीतीश सीट बंटवारे से तो नाराज हैं ही, अब उन्होंने भाजपा पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित किया जाए। हालांकि भाजपा के कई वरिष्ठ नेता पहले ही कह चुके हैं कि विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।
दरअसल, नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू को डर है कि भाजपा कहीं बिहार में भी महाराष्ट्र फॉर्मूले पर सरकार बनाने की कोशिश नहीं करे। जदयू की आशंकाएं कुछ हद तक सही भी हैं। यदि चुनाव के बाद 'सीटों के गणित' में नीतीश भाजपा की मजबूरी नहीं बनेंगे तो उनकी मुख्यमंत्री पद से विदाई 100 फीसदी तय है। संभवत: नीतीश को इस बात का अहसास भी हो गया है। क्योंकि भाजपा महाराष्ट्र में ऐसा कर चुकी है। वहां पर भाजपा ने पहले शिवसेना को तोड़कर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया फिर चुनाव के बाद अजित पवार की मदद से उन्हें डिप्टी सीएम बनने पर मजबूर कर दिया था।
2020 में नहीं चला था भाजपा का दांव : हालांकि भाजपा ने 2020 के विधानसभा चुनाव में ही नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाने की योजना पर काम किया था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। पिछली बार भाजपा ने 'मोदी के हनुमान' चिराग पासवान की मदद से नीतीश कुमार को बाहर से घेरने की कोशिश की थी, लेकिन तब भगवा पार्टी की यह रणनीति नाकाम रही थी। चिराग की पार्टी सिर्फ एक सीट ही जीत पाई थी। उनका एकमात्र विधायक भी बाद में जदयू में शामिल हो गया था। वैसे भी नीतीश कुमार और चिराग एक दूसरे को पसंद नहीं करते।
इस बार हालात अलग : भाजपा ने एक बार फिर चिराग के माध्यम से ही नीतीश को घेरने की कोशिश की है। इस बार चिराग पासवान एनडीए में रहकर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। सीट बंटवारे में चिराग के खाते में 29 सीटें आई हैं, जबकि जीतन राम मांझी की पार्टी हम और उपेन्द्र कुशवाहा की रालोमो को 6-6 सीटें मिली हैं। भाजपा और जदयू बराबर (101) सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। 2020 में 74 सीटें जीतने के बाद नीतीश को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा था। इस बार हालात थोड़े अलग हैं। एंटी-इनकम्बेंसी के चलते हो सकता है कि नीतीश की सीटें पिछली बार (43) की तुलना में और कम हो जाएं। ऐसे में नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना असंभव हो जाएगा।
नीतीश पर उम्र का असर : हालांकि नीतीश कुमार पर उम्र का असर दिखने लगा है, लेकिन वे राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं। ऐन मौके पर फिर पलटी मार जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। लेकिन, वे पलटी मारने की स्थिति में तब ही होंगे जब उन्हें इतनी सीटें मिलें कि वे सरकार बनाने या बिगाड़ने की स्थिति में हों। यदि नीतीश मुख्यमंत्री नहीं बन पाए तो उनकी राजनीति पर भी विराम लग जाएगा।