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Last Updated :नागपुर , गुरुवार, 2 जनवरी 2025 (19:15 IST)

RSS की शाखा में गए थे बाबासाहब भीमराव आंबेडकर, संघ के प्रति थी अपनेपन की भावना

RSS के नियमित संपर्क में थे बाबासाहब आंबेडकर

RSS की शाखा में गए थे बाबासाहब भीमराव आंबेडकर, संघ के प्रति थी अपनेपन की भावना - Baba Saheb Bhimrao Ambedkar had gone to the RSS
Baba Saheb Bhimrao Ambedkar News in hindi : बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर एक बार फिर चर्चा में हैं। पिछले दिनों राज्यसभा में बाबा साहब पर दिए गए गृहमंत्री अमित शाह के बयान से पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान मचा हुआ। आंबेडकर को लेकर इतिहास के पन्ने और तथ्य उलटे-पलटे जा रहे हैं। इस बीच संघ की प्रचार शाखा ने दावा किया है कि संविधान निर्माता बाबा साहब आरएसएस की शाखा में गए थे। संघ की संचार शाखा विश्व संवाद केंद्र (वीएसके) के विदर्भ प्रांत ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।
 
भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 85 वर्ष पहले महाराष्ट्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की एक शाखा में आए थे। संघ की संचार शाखा ने गुरुवार को यह दावा किया। आंबेडकर ने अपने दौरे के दौरान कहा था कि कुछ मुद्दों पर मतभेदों के बावजूद वह आरएसएस को अपनेपन की भावना से देखते हैं। 
बयान के मुताबिक, डॉ. आंबेडकर ने 2 जनवरी 1940 को सतारा जिले के कराड में आरएसएस की शाखा (स्थानीय इकाई) का दौरा किया, जहां उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों को संबोधित भी किया। बयान में बताया गया कि डॉ. आंबेडकर ने अपने संबोधन में कहा कि हालांकि कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं लेकिन मैं संघ को अपनेपन की भावना से देखता हूं।
 
अखबार में आई थी खबर : वीएसके ने अपने बयान में कहा कि 9 जनवरी, 1940 को पुणे के मराठी दैनिक ‘केसरी’ में डॉ. आंबेडकर के आरएसएस शाखा में जाने के बारे में एक खबर प्रकाशित हुई थी। बयान में उस समाचार की एक प्रति भी संलग्न की गई है।

किताब का हवाला : खबर में आरएसएस विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी की लिखी किताब ‘डॉ. आंबेडकर और सामाजिक क्रांति की यात्रा’ का संदर्भ दिया गया है, जिसमें आरएसएस और डॉ. आंबेडकर के बीच संबंधों के बारे में बताया गया है। खबर के अनुसार, किताब के आठवें अध्याय की शुरुआत में ठेंगड़ी कहते हैं कि डॉ. आंबेडकर को आरएसएस के बारे में पूरी जानकारी थी। अध्याय के मुताबिक, संघ के स्वयंसेवक नियमित रूप से आंबेडकर के संपर्क में रहते थे और उनसे चर्चा करते थे।
 
वीएसके ने किताब के हवाले से कहा कि डॉ. आंबेडकर यह भी जानते थे कि आरएसएस हिंदुओं को एकजुट करने वाला एक अखिल भारतीय संगठन है। वह इस बात से भी वाकिफ थे कि हिंदुत्व के प्रति वफादार संगठनों, हिंदुओं को एकजुट करने वाले संगठनों और आरएसएस के बीच अंतर है। आरएसएस के विकास की गति को लेकर उनके मन में संदेह था। इस दृष्टि से डॉ. आंबेडकर और आरएसएस के बीच संबंधों का विश्लेषण करने की आवश्यकता है।”
 
केवल ब्राह्मणों के लिए नहीं है संघ : वीएसके ने बयान में कहा कि यह आरोप कि संघ केवल ब्राह्मणों के लिए है, आज गलत साबित हो गया है। बयान के अनुसार, महात्मा गांधी ने 1934 में वर्धा में आरएसएस शिविर का दौरा किया था, जहां उन्होंने महसूस किया कि संघ में विभिन्न जातियों और धर्मों के स्वयंसेवक शामिल थे।
गांधी के बयान का हवाला : वीएसके ने बयान में कहा, “उन्होंने (महात्मा गांधी) खुद अनुभव किया कि शिविर में कोई भी स्वयंसेवक अपनी या अन्य स्वयंसेवकों की जाति जानने में दिलचस्पी नहीं रखता था। सभी के मन में एक ही भावना थी कि हम सभी हिंदू हैं। इसलिए, स्वयंसेवकों ने अपनी दैनिक गतिविधि सहजता से की।”
 
डॉ. हेडगेवार को गांधीजी ने दी थी बधाई : बयान के मुताबिक, “गांधी यह देखकर बहुत हैरान हुए। अगले दिन, उन्होंने (आरएसएस संस्थापक) डॉ. हेडगेवार के साथ बैठक की, जिसमें उन्होंने अस्पृश्यता उन्मूलन कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन के लिए उन्हें बधाई दी।” वीएसके ने यह भी कहा कि आरएसएस पर लगे ये आरोप कि वह राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान नहीं करता और 15 अगस्त तथा 26 जनवरी को तिरंगा नहीं फहराता, सच नहीं हैं।
 
जंगल सत्याग्रह में शामिल हुए थे संघी : वीएसके के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि संघ के स्वयंसेवकों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन जब यह बताया गया कि आरएसएस संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में ‘जंगल सत्याग्रह’ के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था, तो लोगों और विरोधियों ने इस पर विश्वास किया। इनपुट भाषा Edited by : Sudhir Sharma
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