श्रीनगर। इस बार अमरनाथ यात्रा की वाट लग गई है। जिन हजारों लोगों ने अमरनाथ यात्रा से उम्मीदें लगा रखीं थीं वे सब मिट्टी में मिल गईं। सबसे ज्यादा नाउम्मीद अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड हुआ है जिसे इस बार 2.58 लाख की संख्या से ही संतोष करना पड़ेगा।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के यात्रियों की संख्या पर निगरानी रखने के आदेशों के बावजूद श्राइन बोर्ड को उम्मीद थी कि कम से कम 7 लाख श्रद्धालु यात्रा में शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिदिन 16000 लोगों को ही यात्रा में शामिल होने की अनुमति दी थी। 40 दिनों तक चलने वाली यात्रा में 7 लाख लोगों की चाहत लेकर अपना धंधा करने वाले व्यापारियों और होटलवालों को राज्य में फैली हिंसा के असर को सहन करना पड़ा है।
पहले ही राज्य में खराब होते मौसम से डरे लोग अमरनाथ यात्रा में शामिल होने से कतराने लगे थे। यात्रा की शुरुआत में ही लोगों ने अपनी बुकिंग रद्द करवा कर यह संकेत दे दिया था कि इस बार अमरनाथ यात्रा कोई रिकार्ड नहीं बना पाएगी। हुआ भी वही।
खराब मौसम, आतंकी हमला और कश्मीर के हालात के बाद वह दिन अमरनाथ यात्रा के लिए सबसे बुरा उस समय साबित हुआ जब यात्रा का प्रतीक हिमलिंग पिघल गया। हालांकि 14 हजार 500 फुट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में इस बार 18 फुट ऊंचा हिमलिंग बनने पर सभी खुश थे। पर थोड़े से ही श्रद्धालुओं के दर्शनों के बाद इसका पिघल जाना कई सवाल पैदा कर गया।
इसमें कश्मीर में पिछले कई महीनों से फैली हिंसा ने अपना जबरदस्त तड़का जरूर लगाया। नतीजा सामने था। अमरनाथ यात्रा की वाट लग गई। यह वाट कितनी लगी इससे स्पष्ट होता था कि शनिवार को अमरनाथ यात्रा के लिए सिर्फ 89 श्रद्धालु रवाना हुए। जबकि परसों श्रावण पूर्णिमा को यात्रा का अंतिम दिन है। श्राइन बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या 2.58 लाख को ही पार कर पाई है।
इस बीच अमरनाथ गुफा में दर्शन के लिए चल रही तीर्थयात्रा के दौरान 26 तीर्थयात्रियों की चिकित्सा संबंधी कारणों से मौत हो गई है जबकि अन्य की सड़क हादसों और आतंकी हमलों में मौत हुई है। कुल 60 लोगों की मौत हुई है।
वर्ष 2012 में 6,21,145 श्रद्धालुओं ने अमरनाथ यात्रा की थी और इस दौरान 98 लोगों की स्वास्थ्य कारणों से मृत्यु हो गई। इसके अलावा 42 तीर्थयात्री सड़क दुर्घटनाओं और अन्य कारणों से जान गंवा बैठे। साल 2011 में 6,35,611 तीर्थयात्रियों ने अमरनाथ दर्शन किये थे और इस दौरान 106 यात्रियों की मौत हो गई।
हालांकि इस साल मेडिकल संबंधी कारणों से मृतक संख्या कम रही है क्योंकि श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने 13 साल से कम तथा 75 साल से ज्यादा उम्र के लोगों और छह सप्ताह या उससे अधिक अवधि की गर्भवती महिलाओं के यात्रा में शामिल होने पर रोक लगाई है।
पिछले कुछ वर्षों से यह देखने को मिल रहा था कि आतंकी हमले अमरनाथ श्रद्धालुओं में नए उत्साह का संचार करते रहे और प्रत्येक आतंकी घटना के उपरांत यात्रा में शामिल होने वालों की संख्या और बढ़ जाती थी जिस कारण प्रशासन के लिए परेशानियां पैदा होती थीं।
आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक, वर्ष 1997 के उपरांत यात्रा पर आतंकी खतरा और बढ़ा था, लेकिन बावजूद उसके वर्ष 1998, 1999, 2000 तथा 2001 में क्रमशः 1.40 लाख, 1.14 लाख, 1.74 लाख तथा 1.50 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें सभी खतरों पर पार पाते हुए भाग लिया था। फिर इसके बाद अमरनाथ यात्रा में जबरदस्त उछाल आया तो 2011 में 6.35 लाख, 12 में 6.21 लाख, 12 में 3.53 लाख, 14 में 3.73 और 2015 में 3.52 लाख तथा 2016 में 2.20 लाख श्रद्धालु शामिल हुए थे।