आखिर क्या है सचिन पायलट का प्लान?
कांग्रेस नेता सचिन पायलट और राजस्थान के मुख्यमंत्री के बीच अदावत कोई नई बात नहीं है, दोनों के बीच का छत्तीस का आंकड़ा अक्सर सामने आता रहा है, लेकिन इस बार जिस तरह एक बार फिर सचिन पायलट ने बागी तेवर दिखाए हैं उससे लगता है कि उनके दिमाग में कोई दूसरा प्लान चल रहा है। क्योंकि इस बार जब वे वसुंधरा राजे शासन में हुए भ्रष्टाचार को लेकर अनशन पर बैठे तो उनके बैनर में न तो राहुल गांधी और न ही सोनिया गांधी के फोटो नजर आए। इतना ही नहीं, कांग्रेस का सिंबल हाथ भी उनके बैनर से गायब था।
हालांकि सचिन पायलट का अनशन समाप्त हो गया है, लेकिन कांग्रेस ने बडे नेताओं की तरफ से उनके खिलाफ ही बयान आए हैं। ऐसे में लोकसभा चुनावों के ठीक पहले सचिन पायलट का इस तरह से एक बार फिर से बागी हो जाने के राजनीतिक मायने आखिर क्या हो सकते हैं।
बता दें कि इसके पहले भी अशोक गेहलोत और सचिन कई बार आमने सामने आ चुके हैं। ये अदावत कांग्रेस मुख्यालय दिल्ली तक पहुंच गई थी। इस बार भी सचिन के इस अनशन को कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के खिलाफ बताया है।
अनशन के बहाने दरअसल सचिन ने दो जगह निशाने साधे हैं। उनकी मांग है कि राज्य सरकार वसुंधरा राजे सरकार में हुए खनन घोटाले की जांच के आदेश दे, क्योंकि 2018 में चुनाव के समय कांग्रेस ने जनता इसे लेकर वादा किया था। एक तरह से वसुंधरा के बहाने सचिन ने अशोक गहलोत पर ही निशाना साधा है।
दरअसल, यह सबको पता है कि सचिन राजस्थान के मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन अशोक गहलोत के सामने उनके सारे पांसे फेल हो गए। ऐसे में सचिन पायलट पिछले करीब तीन सालों से कांग्रेस में घुटन सी महसूस कर रहे हैं। भले ही वे ऐसा सार्वजनिक रूप से नहीं कह रहे, लेकिन उनके बयान, बॉडी लैंग्वेज और गेहलोत से उनकी बार बार की तकरार से तो यही साबित होता है कि राजस्थान में सबकुछ ठीक नहीं है।
ऐसे में सवाल यह है कि अब सचिन पायलट का अगला प्लान क्या होगा। क्या वे कांग्रेस को छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल होंगे या नई पार्टी बनाकर चुनाव में उतरेंगे। हाल ही में किए गए उनके अनशन में कांग्रेस का पंजा और राहुल, प्रियंका या सोनिया गांधी का कोई पोस्टर नजर नहीं आया। यह सब तब हो रहा है, जब कांग्रेस पहले ही संकट से जूझ रही है और कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनाव होने हैं।
अगर देखा जाए तो सचिन पायलट के सामने कुछ विकल्प हैं। मसलन, ज्योतिरार्दित्य सिंधिया उनके पुराने दोस्त हैं और वे उन्हें भाजपा में ला सकते हैं। भाजपा समेत दूसरे राजनैतिक दलों में भी सचिन पायलट जैसे होनहार नेता के लिए दरवाजे खुले हैं। अब यह सचिन पायलट पर है कि वे किसी पार्टी में जाते हैं या नई पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में उतरते हैं। लेकिन वर्तमान हालातों को देखते हुए यह तो साफ हो रहा है कि राजस्थान में गहलोत सरकार के नेतृत्व में उनका दम घुट रहा है।
Edited: By Navin Rangiyal