बात यहां से शुरू करते हैं : दिल्ली में हुए कांग्रेस के चिट्ठी कांड के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की पॉलिटिक्स दिलचस्प मोड़ ले सकती है। दरअसल इस चिट्ठी पर राज्यसभा सांसद विवेक तनखा के भी दस्तखत थे। दांवपेंच की राजनीति से नावाक़िफ़ विवेक ने कपिल सिब्बल और गुलाम नबी के सम्मान में इस चिट्ठी पर हस्ताक्षर कर अपनी अच्छी खासी निर्विवाद, साफ सुथरी राजनीति को विवादों में फंसा दिया। कांग्रेस का चिट्ठी कांड इस उभरते नेता के लिए नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि कमलनाथ, दिग्विजय सिंह की राजनीतिक पारी के बाद और मध्यप्रदेश कांग्रेस में नई पीढ़ी के स्थापित होने के बीच में विवेक तनखा मध्यप्रदेश कांग्रेस में बन रहे एक शून्य को भरने की तैयारी में थे।
बढ़ सकती हैं अरुण यादव की मुश्किलें : कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी की खबरें लीक करने के मामले में शंका की सुई मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव पर है। यादव कमेटी के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। पिछले दिनों हुई कमेटी की हंगामेदार बैठक की खबर लीक करने के मामले में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पास यादव को लेकर पुख्ता जानकारी पहुंच गई है। कुछ स्क्रीनशॉट से तो सबकुछ साफ हो गया है। मध्य प्रदेश के कांग्रेस राजनीति में यादव के सितारे वैसे ही गर्दिश में हैं और ताजा घटनाक्रम से उनकी परेशानी बढ़ने वाली ही है।
सिंधिया को रोकने की तैयारी : एक बात की चर्चा बड़ी जोरों पर है और वह यह कि भारतीय जनता पार्टी का एक धड़ा जिसमें कई वजनदार नेता शामिल हैं, इस बात के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को आने वाले उपचुनाव में ग्वालियर चंबल संभाग से करारा झटका मिले। यह सब नेता इस बात से आशंकित हैं कि यदि उपचुनाव में सिंधिया इस अंचल से अच्छी खासी सीटें जिता ले गए तो फिर उन्हें कौन पूछेगा। सिंधिया को रोकने में लगे इन लोगों की तैयारी सिंधिया समर्थक उम्मीदवारों के सामने बागी उम्मीदवार मैदान में लाने की भी है। यह नेता कौन हैं, इसे जानने के लिए आपको ग्वालियर चंबल संभाग से बाहर जाने की जरूरत नहीं।
कुमार के लिए फायदे का सौदा : बहुचर्चित हनी ट्रैप कांड ने भले ही कईयों की नींद हराम कर रखी हो लेकिन इसकी जांच के लिए बनी एसआईटी का प्रमुख होना वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। हनी ट्रैप मामले में हाईकोर्ट के सख्त रवैये को देखते हुए सरकार किसी नए अवसर को मौका देने के बजाय राजेंद्र कुमार को 3 महीने का सेवा विस्तार दे सकती है। वे आज ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। एसआईटी के कामकाज पर हाईकोर्ट की पैनी निगाहें हैं और वह पहले भी एसआईटी चीफ बदलने के मुद्दे पर अपनी नाराजगी दर्शा चुकी है। हाईकोर्ट की नाराजगी से बचने के लिए ही सरकार ने पिछले दिनों इस मामले के ओआईसी पीटीसी इंदौर के एसपी अवधेश गोस्वामी का टीकमगढ़ एसपी के पद पर किया गया तबादला ताबड़तोड़ निरस्त किया था।
रस्तोगी की असरकारक मौजूदगी : वाणिज्यिक कर विभाग में प्रमुख सचिव रहते हुए मनोज गोविल भले ही असरकारक नहीं रह पाए हों, लेकिन अब यहां प्रमुख सचिव के रूप में दीपाली रस्तोगी की मौजूदगी सरकार के लिए तो फायदेमंद रहेगी ही मंत्री जगदीश देवड़ा की परेशानी भी कुछ कम होगी। विभाग में रस्तोगी की असरकारक मौजूदगी का एहसास उस वक्त हुआ जब सहायक आबकारी आयुक्त और जिला आबकारी अधिकारी पद के लिए उन तक जो नामों की सूची पहुंची थी उसका उन्होंने बहुत बारीकी से अध्ययन किया और किस अफसर की क्या खासियत है और उसे क्यों मौका नहीं दिया जाना चाहिए इस अनुशंसा के साथ आगे बढ़ा दिया। इतनी खूबियां सामने आने के बाद भला उन अफसरों को कैसे मौका मिलता। मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
मंगलम का जवाब नहीं : एक जमाना था जब पुलिस मुख्यालय में एआईजी प्रशासन के पद पर मौका मिलना भोपाल की लूप लाईन वाली पदस्थापना में सम्मानजनक माना जाता था। एआईजी कार्मिक के पद के गठन के बाद इस पद का रुतबा कुछ कम हुआ था। अब इस शाखा में भी 4 आईपीएस अधिकारी आईजी के रूप में पदस्थ हैं। इनमें से भी दो अमित सिंह और नवनीत भसीन तो जबलपुर और ग्वालियर जैसे जिलों के एसपी रह चुके हैं। वैसे प्रशासन शाखा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अन्वेष मंगलम अपने मातहतों से काम लेने का रास्ता निकाल ही लेते हैं और यहां भी वे उसमें सफल रहेंगे।
मजे में हैं सिलावट के भाई-भाभी : जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट को सांवेर उपचुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए भले ही एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा हो लेकिन उनके भाई डॉ. सुरेश सिलावट और भाभी सुधा सिलावट के तो मजे ही मजे हैं। कांग्रेस सरकार के दौर में होलकर कॉलेज के प्राचार्य बने सिलावट भाजपा की सरकार बनते ही अपर संचालक भी बना दिए गए। हाल ही में प्राचार्य कोटे से वे और उनकी पत्नी दोनों विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद में मनोनीत भी हो गए। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय कुलपति पद के लिए भी उनका दावा है ही। इसमें डॉक्टर सिलावट को अपने साढ़ू झाबुआ से भाजपा सांसद जीएस डामोर की भी पूरी मदद मिल रही है। अब बचता क्या है?
किस्मत हो तो सत्य प्रकाश शर्मा जैसी : परिवहन विभाग के ग्वालियर मुख्यालय में निजी सहायक की हैसियत वाला यह कारिंदा इन दिनों विभाग को अपनी उंगलियों पर नचा रहा है। मंत्री गोविंद राजपूत इसके मुरीद हो गए हैं क्योंकि इसने उन्हें रास्ते दिखा दिए। वी मधु कुमार को जिस तरह परिवहन आयुक्त पद से विदा होना पड़ा उसके बाद नए आयुक्त मुकेश जैन भी शर्मा का प्रताप समझ चुके हैं। इसके बाद बचता क्या है। इस सब का नतीजा है कि इन दिनों मध्यप्रदेश के चार सबसे अहम परिवहन बैरियर शर्मा की देखरेख में ही संचालित हो रहे हैं और इसकी शरण में आने के बाद निरीक्षक से लेकर आरक्षक तक का उद्धार हो पाता है।
चलते चलते : ऐसा क्या है कि एडीजी सुधीर शाही के कमरे पर इन दिनों सबकी निगाहें रहती हैं। इस कमरे में एक शख्स की आवाजाही आखिर लोगों को इतना परेशान क्यों किए हुए है। कौन है यह शख्स जरा पता करिए।
-यदि सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो मध्य प्रदेश लॉन टेनिस एसोसिएशन के सचिव अनिल धूपर 6 सितंबर को ऑल इंडिया लॉन टेनिस एसोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल हो जाएंगे। वह यह सम्मान हासिल करने वाले मध्यप्रदेश के पहले व्यक्ति होंगे।
पुछल्ला : कमलनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी को ही बरकरार रखने की पैरवी की और उनके खास सिपहसालार सज्जन सिंह वर्मा ने गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। आखिर तार तो जोड़ना पड़ेंगे ना।