विविधता में एकता का परिचायक है 'परंपरा- नगर चौरासी'
- अक्षय भंडारी, राजगढ़
भारत में विभिन्न संस्कृति, जातियां, भाषा और धर्म का देश है यही हमारी विशेषता है। जहां आस्था, धर्म ओर विश्वास के साथ परंपरा नगर चौरासी का संबंध विविधता में एकता का परिचायक है जो भाईचारे और आपसी मेल मिलाप को दिखाता है। नगर चौरासी में विविधता में एकता को अपनी सोच के साथ भारत के भविष्य के लिए भाईचारे ओर समरसता की भावना को बढ़ावा देता है।
भारत में आमतौर पर लोगों द्वारा भंडारा, फले चुंदड़ी जैसे आयोजन देखने को मिलते है, लेकिन वह एक वर्ग, एक संस्था का होकर रह जाता है पर नगर चौरासी हर वर्ग के लिए एक आयोजन होता है जो मध्यप्रदेश के धार जिले के राजगढ़ में किसी प्राण प्रतिष्ठा या किसी प्रसंग पर नगर चौरासी का आयोजन किया जाता है। जहां सभी धर्मों और जातियों के लोग एकसाथ भोजन करते हैं, कोई बड़ा न छोटा बिना भेदभाव के यह कार्य होता है।
यहां बिना किसी भेदभाव के विविधता में एकता का खास नजारा देखने को मिलता है, जहां सनातन धर्म, जैन धर्म, ईसाई, इस्लाम आदि अनेक धर्मो के लोग रहते हैं। वास्तव में इस मातृभूमि पर हमने संस्कृति को एक नई उंचाइयों पर जिया है। इसी बात को लेकर राजगढ़ नगर चौरासी के माध्यम से भारतीय संस्कृति को जनमानस में प्रसन्नता के साथ संदेश देती है कि हम सब एक है। इसके साथ स्वयं यह सिद्ध करती है कि 'राजगढ़' की नगर चौरासी समाज में आनंद की अनुभूति उत्पन्न कराती हैं।
नगर चौरासी शहर के जनमानस को सिखाता है और आकर्षित करता है। भारतीय होने के नाते हम सबकी जिम्मेदारी को समझना ऐसी अनोखी परंपरा को कायम रखने में वर्तमान तथा भविष्य की प्रगति के लिए अच्छा कार्य है।