बुधवार, 30 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Hindi Blog Poem

काव्य : तुम्हारे कारण......!

मेरा ब्लॉग
आओ सखे! किसी दिन,
घोर अरण्य में मौन चलते हुए 
पत्तों के चरमराने की भाषा सुनें।   

 
आओ प्रिय! कभी बैठें,
किसी निर्जन देवालय के प्रांगण में 
और हवाओं में बहते प्रार्थना के स्वर सुनें।
 
आओ मित्र, एक बार,
अछूते निसर्ग में अल्हड़ झरने का 
अनसुना-सा संगीत सुनें।
 
भाषा की सार्थकता, प्रार्थना की सफलता 
संगीत का आनंद, है सिर्फ तुम्हारे कारण...