रोमियो परिवहन जारी है
कोई एक जमाना था जब परिवहन विभाग की बसें चला करती थी और उनकी निगरानी के लिए फ्लाइंग स्कॉड भी थी। इस स्कॉड द्वारा रास्ते में किसी बस की औचक चैकिंग होती, फिर कंडक्टर की तबियत से मिजाजपुर्सी के साथ भेंट भी खींची जाती। बेचारा कंडक्टर सबके सामने डांट खाता हुआ अनुनय-विनय कर चेकर को साइड में ले-जाकर सेटिंग का प्रयास भी करता। अब भेंट-पूजा से काम निकलने के उपरांत हुए शेयर नुकसान से प्रभावित कपल यानी ड्राईवर-कंडक्टर बिलकुल लुटे-पिटे अंदाज में गाड़ी आगे बढ़ाते और रास्ते भर सामने से आती रोडवेज की गाड़ियों को रोक-रोककर सुचना देते, कि पीछे फ्लाइंग स्कॉड खड़ी है।
यह भारतीय धर्म है, सर्वमान्य! अब इससे देश पीछे जाए या आगे, पर पीछे खड़ी फ्लाइंग स्कॉड को चूना लगाना ही तात्कालिक कर्तव्य नजर आता था। पूरी बस, यह माजरा फोकट में देखती और ज्ञान प्राप्त करती चलती, कि कैसे फ्लाइंग को फेल करना है? बस में बैठे बच्चों के लिए यह प्रारंभिक पाठशाला होती थी। कभी-कभी तो लोकल के बाइक सवार भी रास्ते में आती बस के ड्राईवर को सूचना देकर इस सर्वमान्य सहायता धर्म को निभाते थे, हालांकि इस सहायता में फ्री यात्रा कि मंशा भी छुपी होती थी। परिवहन विभाग के कालिदास कपल उर्फ कंडक्टर-ड्राईवर मिलकर टिकिट काटने की जगह चंदा उगाही के साथ फ्लाइंग को फेल करने का जो पुण्याई कार्य करते थे, उससे फ्लाइंग स्कॉड तो फेल नहीं हुआ पर परिवहन विभाग जरूर बंद हो गया।
आजकल एंटी रोमियो स्कॉड के चर्चे हैं, वे भी औचक निरीक्षण में धर-पकड़ करते हैं। इधर प्रेमी कपल होते हैं, जिसमें प्रेमी की लू उतारी जाती है और वो हाथ-जोड़ता पैर पकड़ता बिलकुल परिवहन विभाग के कंडक्टर जैसा प्रतीत होता है। कंडक्टर की तरह प्रेमी भी फ्लाइंग स्कॉड को भेंट पूजा देकर निकलने के प्रयास करता है और इस तिकड़म में दांव उलटा बैठा, तो सरे राह धुनाई के योग खुद ही बना लेता है। जैसे परिवहन विभाग का ड्राईवर टिकिट चोरी के शेयर में शामिल होते हुए भी बचा रहता है, वैसे ही इधर प्रेमिका के हाल जानिए...। इस वक्त वह हीरोइन से घटकर साइड हीरोइन का दर्जा पाई लगती है, पर बेचारा हीरो पूरा अपोजिट यानी एकदम विलेन बना दिया जाता है। अंतत: किसी तरह दोनों खिसियाते, लजाते अपनी बाइक आगे बड़ा लेते हैं। अब यह कपल भी वही कंडक्टर-ड्राईवर वाला फलसफा दोहराते हैं कि रास्ते में मिलने वाले अपने परिचित दूसरे रोमियो को खबर करते चलते हैं कि पीछे एंटी रोमियो स्कॉड मौजूद है।
कई भाई जो अभी बाइक पर सिंगल है, वे आजकल इसे संभावित अवसर की तरह देख-समझ, रास्ते में ही प्रेमी कपल को खबर करने के लिए जेब से पेट्रोल खर्च करने में लगे हैं। उद्देश्य वही है जो पहले था, बस पात्र बदल गए हैं। कुल मिलाकर फ्लाइंग स्कॉड को फेल करना है! इस तरह सनातन, सर्वमान्य भारतीय सहायता धर्म का अनुपालन अनवरत जारी है। अब देखना यह है कि इस बार क्या होता है ? रोमियो परिवहन कायम रहता है या फ्लाइंग स्कॉड !