मेरा ब्लॉग : गाय के लिए ये कीजिए...
मनोज श्रीवास्तव | शुक्रवार,सितम्बर 8,2017
मंदिर, आश्रम, ट्रस्ट और जितनी भी सरकारी-गैरसरकारी धर्मार्थ संस्थाएं हैं, उनसे जुड़ी जमीनों पर होने वाली खेती में ...
प्रजातंत्र में स्वयंभू धन्ना न्यायाधीश
मनोज श्रीवास्तव | सोमवार,मई 1,2017
प्रजातंत्र जाए पानी भरने हमें क्या? हमारी जेब भरी होनी चाहिए, तो सजा सुनाने का हक हासिल हो जाता है। दस-बीस लाख की बोली ...
मजदूर का पसीना और कड़की किताब का आइडिया
मनोज श्रीवास्तव | सोमवार,मई 1,2017
किसी व्यक्ति की घनघोर कड़की का अंदाज लगाना है, तो उसके हेयरड्रेसर से संपर्क किया जाना चाहिए। सामान्य रुपए-पैसे की कड़की ...
रोमियो परिवहन जारी है
मनोज श्रीवास्तव | शुक्रवार,अप्रैल 7,2017
कोई एक जमाना था जब परिवहन विभाग की बसें चला करती थी और उनकी निगरानी के लिए फ्लाइंग स्कॉड भी थी।
दंगल में विस्मृत राष्ट्रीय खेल संस्थान
मनोज श्रीवास्तव | सोमवार,मार्च 27,2017
दंगल फिल्म में लड़कियों को ऊपर लाने के प्रयास को बहुत सशक्त और प्रभावी तरीके से पर्दे पर दिखाया गया है। 'मेडल तो मेडल ...
ईवीएम, मतपत्र और घमासान
मनोज श्रीवास्तव | बुधवार,मार्च 22,2017
पहले जब चुनाव परिणाम एकतरफा आते थे तो बूथ कैप्चरिंग से लेकर तमाम फंडे गिनाए जाते थे। चूंकि ईवीएम नहीं थी और छापा लगता ...
प्रजातंत्र के अंदर-बाहर का फर्क
मनोज श्रीवास्तव | गुरुवार,मार्च 16,2017
चुनावी वक्त में चुनाव कौन जीतेगा, इस बात से ज्यादा जोर आजकल इस बात पर होने लगा है कि कौन हारेगा। यह भाव दर्शाता है कि ...
अथ श्री गधा पुराण
मनोज श्रीवास्तव | गुरुवार,मार्च 9,2017
किसी भी क्षेत्र में चले जाइए, सब जगह गधे मौज करते मिलेंगे और घोड़े थककर-चूर मिलना है। सरकारी महकमे में एक जुमला आम है ...
जायरा के पीछे वजह कुछ और है
मनोज श्रीवास्तव | सोमवार,फ़रवरी 6,2017
जायरा वसीम के रोल मॉडल बनने के बयान से मचे बवाल में कुछ लोग जायरा को रील लाइफ में अखाड़े की कुश्ती के साथ रियल लाइफ की ...
गांधीवाद के प्रचार को क्यों रोकना
मनोज श्रीवास्तव | सोमवार,जनवरी 23,2017
क्या हर्ज है चरखा चलाने में ? किसी को मनाही है क्या ? जो जितना चाहे चलाए, कोई नहीं रोक रहा। वैसे भी प्रधानमंत्री ...