शुक्रवार, 8 नवंबर 2024
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तमाशा देखती भीड़, हिंसक और कायर होते समाज के बीच बच्चियां

delhi case sakshi
हम कैसे समय में जी रहे हैं? जहां संवेदनाएं पहले ही मृत हैं। एक युवा बच्ची की खुलेआम हत्या हो जाती है और आसपास के लोग भय से मदद के लिए आगे नहीं आते। एक ओर लोग इतने हिंसक हो रहे दूसरी ओर कायर, आखिर क्यों?? हमारा समाज निरंतर नैतिक पतन की राह पर है, इस क्यों का जवाब हमें तलाशना ही होगा। प्रेम की बात होती है और प्रेम असफल होते ही बात हत्या तक पहुंच जाती है, ये कैसा प्रेम? उस देश में जहां प्रेम के नाम पर लोगों ने कुर्बानी दी हो, प्रेम के लिए त्याग किया हो उस देश में आये दिन प्रेम के नाम पर हत्या??
 
समाज हिंसक हो रहा है, बात-बात पर सब लोग तैश में आ जाते है। बहस करना जरुरी शगल है इन दिनों। टी.वी. चैनलों ने बहस करना सिखाया है। संसद में भी सिवाय बहस के कुछ नही होता। बहस और विचार विमर्श में जमीन आसमान का अंतर है, इस अंतर को समझना आवश्यक है। चारों तरफ केवल हिंसक बातों की हवा है। सद्भावना सिरे से गायब है। मीडिया अलगाववाद और भेदभाव को भुना रहे हैं। सनसनी फैलाकर व्यापार करना चाहते हैं। इस व्यापार की देश के नागरिकों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। आज साक्षी की हत्या हुई है कल किसी और बिटिया का बुरा न हो इसके लिए हम सबका चेतना बहुत जरुरी है। जागो, चेतो, बोलो, गलत बात का विरोध करो, रोको.... वर्ना हम सब पतन के इस मार्ग में एक साथ खड़े केवल आंसू संजो रहे होंगे.... जागो... जागो...
समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध