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Last Modified: जबलपुर , मंगलवार, 13 नवंबर 2018 (16:40 IST)

महाकौशल : दोनों दलों के प्रदेश प्रमुखों की प्रतिष्ठा दांव पर

महाकौशल : दोनों दलों के प्रदेश प्रमुखों की प्रतिष्ठा दांव पर - Mahakaushal
जबलपुर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार महाकौशल क्षेत्र में दोनों दलों के प्रदेश अध्यक्षों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
 
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कमलनाथ जहां छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के सांसद हैं, वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेशसिंह जबलपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां के पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़े भाजपा के पक्ष में हैं। ऐसे में इस बार महाकौशल क्षेत्र में जीत का परचम फहराने के लिए दोनों ही दलों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है।
 
महाकौशल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आठ जिलों जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, नरसिंहपुर, कटनी, सिवनी, मंडला और डिंडोरी में कुल 38 विधानसभा सीट हैं। इनमें से वर्तमान में 25 पर भाजपा तो 13 पर कांग्रेस का कब्जा है। क्षेत्र में सर्वाधिक आठ विधानसभा सीट जबलपुर में हैं। इन आठ में से छह पर भाजपा तथा दो पर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व है।
 
इसी प्रकार छिंदवाड़ा की सात विधानसभा सीट में से चार पर भाजपा तथा तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। बालाघाट की छह सीटों में से दोनों दलों के पास तीन-तीन हैं। नरसिंहपुर की चारों सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। 
 
इसके अलावा कटनी की चार में से तीन सीट पर भाजपा तथा एक सीट पर कांग्रेस काबिज है। सिवनी जिले की चार विधानसभा सीट में से दो-दो सीट पर कांग्रेस और भाजपा की विजय से संतुलन बना हुआ है। मंडला की तीन विधानसभा सीट में से दो पर भाजपा तथा एक पर कांग्रेस का कब्जा था। वहीं डिंडोरी जिले की दो विधानसभा सीट में से एक-एक सीट पर कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों का कब्जा है।
 
पिछले विधानसभा चुनाव में महाकौशल क्षेत्र की 11 विधानसभा सीट पर जीत का अंतर पांच हजार से कम रहा था। सिवनी जिले में एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीट बरघाट से भाजपा के कमल मर्सकोले ने सबसे कम 269 मतों से जीत दर्ज की थी। इसके बाद जबलपुर पश्चिम विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी तरुण भानोत 923 मतों से विजयी हुए थे।
 
प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री संजय पाठक कटनी जिले की विजयराघवगढ़ सीट से 929 मतों से विजयी हुए थे। विधायक पद से त्यागपत्र देने के कारण हुए उपचुनाव में संजय पाठक इसी सीट से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर 50 हजार से अधिक मतों से विजयी हुए थे। एससी वर्ग के लिए आरक्षित जबलपुर पूर्व विधानसभा सीट से भाजपा के अंचल सोनकर एक हजार 155 मतों से विजयी हुए थे।
 
एसटी वर्ग के लिए छिंदवाड़ा जिले की आरक्षित पांढुर्ना विधानसभा सीट से कांग्रेस के जतिन उईक एक हजार 478 मतों से विजयी हुए थे। प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन बालाघाट सीट से ढाई हजार मतों से विजयी हुए थे। बालाघाट की आरक्षित परसवाड़ा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मधु भगत दो हजार 849 मतों से विजयी हुए थे।
 
कटनी की एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीट बड़वारा से भाजपा के मोती कश्यप भी तीन हजार 284 वोट से ही जीत पाए थे। मंडला आरक्षित सीट से कांग्रेस के संजीव उइके ने तीन हजार 827 सीट से जीत हासिल की। छिंदवाड़ा की आरक्षित अमरवाड़ा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश शाह चार हजार 63 मत से जीते। सिवनी की केवलारी सीट से कांग्रेस के रजनीश ठाकुर चार हजार 803 मतों से विजयी हुए। ये सभी 11 सीट दोनों पार्टियों के लिए इस विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण है। 
 
महाकौशल में दल-बदल भी इस बार खासा अहम है। सबसे ज्यादा चर्चा कटनी की विजयराघवगढ़ सीट की हैं, जहां से पिछले चुनाव के दोनों प्रत्याशियों के दलबदल के बाद दोनों एक बार फिर आमने-सामने हैं। वर्ष 2013 में कटनी की विजयराघवगढ़ सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीते संजय पाठक इस बार भाजपा के प्रत्याशी हैं। पाठक ने उस समय कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर भाजपा प्रत्याशी पद्मा शुक्ला को पराजित किया था। श्रीमती शुक्ला इस बार कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर चुनावी अखाड़े में हैं।
 
दरअसल, चुनाव जीतने के कुछ समय बाद पाठक विधायक पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए और उपचुनाव में जीत हासिल की। इसके बाद उन्हें सरकार में मंत्री बना लिया गया। पद्मा शुक्ला इस पूरे घटनाक्रम के बाद हाल में भाजपा से त्यागपत्र देकर कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। इस बार भी इस सीट पर पाठक व शुक्ला का ही मुकाबला है।
 
वहीं नरसिंहपुर जिले के तेंदुखेड़ा विधानसभा से वर्ष 2013 में भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतने वाले संजय शर्मा ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें इसी विधानसभा सीट से टिकिट दी है। वर्ष 2013 में कटनी की बहोरीबंद से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में निशीथ पटेल चुनाव लड़े थे और उन्हें भाजपा प्रत्याशी प्रभात पांडे से हार का सामना करना पड़ा था। 
 
विधायक पांडे के निधन के कारण हुए उपचुनाव में टिकट नहीं मिलने के कारण पटेल भाजपा में शामिल हो गए। पूर्व में वह लगातार दो बार इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विधायक चुने गए थे। हाल में ही पूर्व विधायक खिलाड़ी सिंह आर्मो भाजपा से त्यागपत्र देकर कांग्रेस में शामिल हुए थे। कांग्रेस ने उन्हे जबलपुर की सिहोरा विधानसभा से टिकिट प्रदान किया है। (वार्ता)
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