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Two Dogs Moral Story : शिकारी और चौकीदार कुत्ता

Two Dogs Moral Story : शिकारी और चौकीदार कुत्ता - Moral Story
यह बहुत प्रसिद्ध कहानी है। क्लास 9th के बच्चों को सुनाई जाती है, परंतु जरूरी नहीं है कि यह बच्चों के लिए हो। यह कहानी हर किसी के लिए प्रेरक सिद्ध हो सकती है। तो आओ जानते हैं कि दो कुत्तों की क्या है कहानी।
 
 
एक व्यक्ति ने एक ही प्राजाति या कहें कि नस्ल के दो कुतत्ते खरीदकर पाले। दोनों ही कुत्ते मजबूत, चुस्त और खतरनाक थे। दोनों को ही उसने अलग अलग ट्रेनिंग दी। एक कुत्ते को तो उसने शिकार के लिए तैयार किया और दूसरे को घर की रखवाली के लिए ट्रेनिंग दी। दोनों ही अपने अपने कार्य में पारंगत हो गए और फिर दोनों को ही उनका कार्य सौंप दिया गया। एक को शिकारी पद पर नियुक्त किया और दूसरे को घर की चौकीदारी के लिए नियुक्त कर दिया।
 
 
एक बार शिकारी कुत्ता जब अपने मालिक के साथ शिकार करके लौटा तो मालिक ने उसके शिकार का कुछ हिस्सा निकाला और उसमें से आधा-आधा दोनों कुत्तों में बांट दिया। यह देखकर शिकारी कुत्ते को बुरा लगा। वह चौकीदार कुत्ते के पास गया और क्रोधित होकर कहने लगा, तुम क्या करते हो पुरे दिन? यहीं छांव में बैठे रहते हो और करते तो हो नहीं कुछ भी। मैं तो पूरे दिन धूप में कड़ी मेहनत और भाग दौड़ करके जैसे तैसे शिकार करके लाता हूं। सारी तकलीफ मैं उठाता हूं और मजे तुम लेते हो। मालिक फिर भी तुम्हें मेरे शिकार में से आधा हिस्सा दे देता है। मेरे परिश्रम का फल तुम खाते हो।
 
 
इस पर चौकीदार कुत्ता भी गुस्से से बोला, 'मुझ पर आरोप लगाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? यह सवाल जाकर मालिक से करो। यह मेरा दोष थोडे ही है। जो काम मुझे दिया गया है मैं तो वही काम करता हूं। तुम्हें इससे जलने की जरूरत नहीं है।
 
 
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें दूसरों के नहीं अपने कार्य पर ध्यान देना चाहिए। आपने यहीं तक यह कहानी सुनी होगी लेकिन इसके आगे की हम सुनाते हैं।
 
 
फिर एक बार शिकारी कुत्ते ने बीमारी का बहाना बनाकर शिकार करने से मना कर दिया तो उसकी जगह मालिक ने चौकीदार कुत्ते को साथ लिया और चला जंगल में, परंतु दिनभर की मेहनत के बाद भी चौकीदार कुत्ता कुछ भी शिकार नहीं कर पाया क्योंकि उसने वो कार्य सीखा ही नहीं था। जब वे दोनों थक-हार कर घर आए तो उन्होंने देखा की शिकारी कुत्ता मजे से सो रहा है और चोर घर में से सामान लुटकर ले उड़े और उसे भनक तक नहीं लगी।
 
 
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हर वक्त को हर तरह का कार्य याद होना चाहिए क्योंकि जिंदगी में कब किस तरह के कार्य को करना पड़े।

प्रस्तुति : अनिरुद्ध जोशी
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