बुधवार, 4 दिसंबर 2024
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Written By अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

माँ तुझे प्रणाम...

माँ तुझे प्रणाम... -
जब तुम रोते थे रात-रात भर।
वो जागती थी आँचल में लेकर।।
अब वह रोती है रात-रात भर।
तुम सोए रहते हो चादर ओढ़कर।।

ND
वेलेंटाइन-डे पर जिस तरह बाजार में रौनक रहती है और बाजारवादी तमाम तरह के ग्रीटिंग कार्ड बेचने में लगे रहते हैं और प्रेमी-प्रेमिका भी अपने प्रेम का इजहार करने के लिए अति व्याकुल हो जाते हैं तथा मीडिया भी बढ़-चढ़कर वेलेंटाइन-डे के प्रचार-प्रसार में जुट जाता है लेकिन दुर्भाग्य है कि उसी तरह के तामझाम के साथ इस देश में मदर-डे नहीं मनाया जाता।

माँ पर कौन पढ़ता है कविता, कहानी या अन्य साहित्य। लोगों को पसंद है व्हाइट टाइगर या सेक्स और रोमांस की किताबें। पत्नी या प्रेमिका का स्वार्थपूर्ण प्रेम लोगों को पसंद हो सकता है, लेकिन माँ का नि:स्वार्थ प्रेम आज की पीढ़ी को पसंद नहीं। उनके दिल में माँ के प्रति संवेदनाएँ नहीं हैं क्योंकि हमारी शिक्षा और हमारा समाज माँ के महत्व को नहीं समझाता। फिल्मों में माँ का किरदार रस्म अदायगी भर का ही होता है क्योंकि सारी फिल्में प्रेमिका और प्रेमी के आसपास ही घूमती रहती हैं।

माँ तुम्हारी चाय बनाने के लिए है। माँ सिर्फ खाना बनाने के लिए है। माँ तुम्हारे कपड़े प्रेस करने के लिए है। तुम घूमते रहते हो दुनियाभर में अपने ऐशो-आराम के लिए, लेकिन माँ घर में तुम्हारे सामान को जमाती रहती है और तुम्हारी तरक्की के लिए कामना करती रहती है। तुम्हें घर में चाहिए ऐसा जो तुम्हारे घर की देखभाल कर सके।

कभी तुमने देखा कि बर्तन माँजते-माँजते उसके हाथ बठरा गए हैं। बटन टाँकते-टाँकते आँखों में मोतियाबिंद हो गया है लेकिन तुम्हें अभी फुरसत नहीं है डॉक्टर के पास जाने की। दो दिन से उसे चक्कर आ रहे हैं, तुमने ग्लुकोज ‍पीने की सलाह देकर मामला टरका दिया, क्योंकि तुम अपनी पत्नी के साथ मनाली घूमने की प्लानिंग बना रहे हो।

तुम्हें मालूम है कि तुम्हारी खुशियों के लिए माँगी गई मन्नतों को पूरा करने के लिए पिछले तीन साल से माँ मथुरा-वृंदावन के दर्शन करने का कह रही है या हज के लिए ख्वाजा साहिब से मन्नतें माँग रही है, लेकिन हर बार ‍तुमने कह दिया कि अभी ऑफिस में बहुत काम है, अभी गर्मी बहुत है या इस साल तंगी है, पप्पू के स्कूल की फीस जमा करनी है, जबकि तुम सालभर में चार-पाँच छोटे-छोटे टूर करते रहे हो।

खैर। एक दिन माँ चली जाती है अपनी सारी इच्छाएँ दिल में ही रखकर भगवान के घर और उस दिन छूते हो तुम उसके पैर जबकि वह जिंदा थी तो एक बार भी तुमने उसके पैर छू लिए होते तो उसकी सारी इच्छाएँ पूरी हो जातीं या फिर मदर-डे पर कह भी देते माँ तूने मेरे लिए जो किया उसके लिए 'धन्यवाद' 'प्रणाम'।