क्या वाकई फ़ोन को आसमान की ओर उठाने से सिग्नल मिल जाता है?
आधुनिक ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुके मोबाइल फोन में अक्सर ही हम सिग्नल न मिलने की समस्या से जूझते हैं। ऐसे में अक्सर आपने लोगों को फोन पकड़ आसमान की ओर हाथ उठाए देखा होगा। इन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो सिग्नल न मिलने पर ये भगवान से शिकायत कर रहे हों, इसके बावजूद नेटवर्क का डंडा तो अपनी मर्जी के हिसाब से ही वापस आता है।
कभी आपने सोचा है कि फ़ोन को इस तरह आसमान की तरफ उठाने से क्या वाकई नेटवर्क मिल जाता है? इसका जवाब है नहीं। दरअसल मोबाइल फ़ोन के तरंग रूपी सिग्नल हमारे चारो ओर एक सामान रूप से फैले हुए होते हैं। ऐसे में फोन को थोड़ा ऊपर उठाने से आस-पास मौजूद तरंगों की गुणवत्ता में कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता है। शहरी क्षेत्रों में ऊंची इमारतों की वजह से इन तरंगों को हम तक पहुंचने में थोड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, जिसे हाथ ऊपर उठाकर नहीं सुधारा जा सकता।
यदि आपको मोबाइल सिग्नल मिलने में समस्या आ रही है तो फ़ोन ऊपर उठाने की बजाए एक-दो बिल्डिंग आगे या पीछे चले जाएं, हो सकता है कि आपकी मौजूदा जगह पर मोबाइल सिग्नल की तरंगें किसी अवरोध की वजह से अच्छी तरह नहीं पहुंच पा रही हों। ऐसे में थोड़ा आगे या पीछे जाने से अवरोध की स्थिति ख़त्म हो जाएगी और आपके मोबाइल का नेटवर्क वाला डंडा पुनः जीवित हो उठेगा।
पहाड़ी क्षेत्रों में सिग्नल न मिलने की समस्या से जूझते लोगों को ऊंचे इलाके में जाने की सलाह दी जाती है। ऐसे क्षेत्रों में यह तरीका कारगर भी होता है, लेकिन हाथ की ऊंचाई पर फोन उठाने का फायदा यहां भी नहीं मिलेगा। इसके लिए आपको थोड़ी मेहनत कर के किसी ऊंचे टीले या अन्य किसी ऊंची जगह पर जाना होगा। दरअसल पहाड़ी इलाकों में मोबाइल टावर पहाड़ के ऊंचे छोर में लगाए जाते हैं, जिससे ऊंचाई में स्थित दो टावर के बीच एक शैडो जोन बन जाता है जहां सिग्नल थोड़ा कमजोर होता है। ऐसे में ऊंचाई पर जाकर आप इन शैडो जोन से बाहर आ सकते हैं।
अगली बार जब भी आपके मोबाइल में सिग्नल न मिले तो हाथ उठाने की बजाए पैर उठाना, मतलब पैर उठाकर थोड़ा आगे या पीछे चले जाना। इससे आपके फ़ोन में सिग्नल और कलेजे में ठंडक आ जाएगी।