shishu stanapaan saptaah : 1 अगस्त से 7 अगस्त तक शिशु स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। एक शिशु के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार है। जो बच्चे को पोषण देने के साथ-साथ उसका शारीरिक विकास भी करता है, उसे स्वस्थ रखता है।
मां के आंचल से लगा शिशु हमेशा खुद को सेफ महसूस करता है और मातृत्व की छांव उसको दिन प्रतिदिन मजबूती प्रदान करती है। ऐसे में एक स्वस्थ, हष्ट-पुष्ट शिशु मां की ममता की आंचल तले बड़ा होता है।
आपको बता दें कि किसी भी नवजात शिशु को दिनभर में हर 2 से 3 घंटे के अंतराल पर या 8 से 12 बार मां का दूध पिलाया जा सकता है। मां के दूध में इतनी शक्ति होती हैं कि वो अपने बच्चे को कई बीमारियों से बचाती है।
लेकिन अपने बच्चे को कब भूख लगी है, यह मां को भी समझना होगा, क्योंकि छोटे बच्चे भी जब उन्हें भूख भूख लगती हैं तो वे कुछ खास संकेत देने हैं, जैसे हाथ-पैर हिलाने लगेगा, तेज-तेज रोना, मुंह खोलना, या फिर बहुत देर तक रोते रहना, जल्दी चुप न होना।
आइए यहां जानें स्तनपान से संबंधित खास टिप्स :
- नवजात शिशु को बाहरी दूध यानी ऊपर का दूध पिलाने से एलर्जी की शिकायत हो सकती है, किंतु मां के दूध से शिशु को एलर्जी संबंधी कोई शिकायत नहीं होती है।
- मां का दूध शुद्ध, ताजा व कीटाणुरहित होता है। यह दूध शिशु को कई प्रकार की बीमारियों से बचाता है।
- मां का दूध शिशु को उसी तापमान में मिलता है, जो उसके शरीर का होता है।
- मां के दूध को बाहरी या ऊपरी दूध की तरह गर्म नहीं करना पड़ता है।
- हर मां को चाहिए कि हमेशा अपने बच्चे को अपनी गोद में लेकर उसे लिटाकर ही दूध पिलाएं। सवयं लेटकर बच्चे को लेटे-लेटे कभी भी दूध नहीं पिलाएं।
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