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Last Modified: शनिवार, 4 अप्रैल 2020 (11:37 IST)

महावीर जयंती : डर और अहिंसा

non violence of Mahavir Swami
भगवान महावीर स्वामी ने भय और अहिंसा के बारे में बहुत कुछ कहा है। यहां यह समझता जरूरी है कि अहिंसा भय नहीं निर्भिक व्यक्ति का स्वभाव है। यहां इस संबंध में छोटा सा सूत्र।

 
डरपोक व्यक्ति ही हिंसक, वाचाल, भ्रमित और विवादी होता है। जिस किसी भी व्यक्ति, धर्म, संगठन, समाज या राष्ट्र में हिंसा का स्वभाव है, तो यह मनोवैज्ञानिक सत्य है कि वह भी किसी नपुंसक की तरह डरपोक ही है।
 
भगवान महावीर ने कहा कि अभय के बिना अहिंसा की साधना नहीं की जा सकती। डरते रहो और अहिंसा की साधना भी करो, इसमें कोई संगति नहीं है। यह परस्पर विरोधी बात है।
 
भगवान महावीर ने अहिंसा का सूत्र देते हुए कहा- 'मा भेतव्यं।' बीमारी से मत डरो, बुढापे से मत डरो, आदमी से भी मत डरो, किसी से भी मत डरो, बीमारी से डरोगे तो बीमारी और उग्र रूप दिखाएगी। बुढापे से डरोगे तो असमय में बुढापा हावी हो जाएगा।
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