जानिए किस डर के कारण रात भर सो नहीं पाए महात्मा गांधी?
अहिंसा के मार्ग को आजादी पाने का रास्ता बनाकर चलने वाले महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के साथ-साथ महात्मा के संबोधन से सम्मानित हुए और यही उनके नाम की निरंतर चलने वाली पहचान बन गई।
मोहनदास करमचंद गांधी से उनके महात्मा गांधी कहलाए जाने का श्रेय, रवीन्द्रनाथ ठाकुर को जाता है, जिन्होंने सन् 1920 में गांधी को महात्मा का दर्जा दिया था। हालांकि यह बात और है कि इसस पहले 1908 में वही रवीन्द्रनाथ ठाकुर उन्हें दक्षिण अफ्रीका में आत्मसम्मान की अपील करने के लिए अपराधी करार दे चुके थे। और इस पर मोहर भी लग चुकी थी।
उस वक्त लुई बोथा ने उस राजनैतिक फैसले को जायज ठहराया, जिसमें महात्मा गांधी को दो महीने तक के लिए जेल भेजने की बात कही जा रही थी। उनका कहना था कि भारतीय ''दुराग्रह'' को रोकने का यही एकमात्र तरीका है।
इसके लिए गांधी को दी गई सजा उनके लिए दहशत भरी रही। क्योंकि गांधी को यह धमकी दी गई थी, कि उनके साथ यौन दुराचार किया जाएगा।
गांधी ने फोर्ड्सबर्ग की हमीदिया मस्जिद में 3,000 से ज्यादा लोगों के समूह को नए आव्रजन कानूनों के विरोध में अपने आवासीय परमिट जलाने के लिए प्रेरित किया था। इसके साथ ही अक्टूबर में उन्हें वर्जित क्षेत्र ट्रांसवाल में शांतिपूर्ण जुलूस का नेतृत्व करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया।
तब गांधी जी को फोर्ट में 'नेटिवों की कोठरी' में डालने से पहले कैदी के कपड़े पहनाए गए और गलियों में घुमाया गया। उस वक्त जेल में उनकी वह पहली रात, भूलने लायक नहीं रही होगी, जब एक अश्वेत और फिर एक चीनी कैदी द्वारा गांधी के साथ बलात्कार करने की धमकी दी गई थी।
बाद में वे दोनों बिस्तर पर सोए एक नेटिव के पास गए और आपस में अश्लील चुटकुले सुने सुनाए। उस रात, गांधी रात भर दहशत के कारण जागते रहे। कुछ वर्षों बाद नेल्सन मंडेला को भी उसी जेल में कैद किया गया था।