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Mahatma Gandhi : महात्मा गांधी का जीवन परिचय

Mahatma Gandhi : महात्मा गांधी का जीवन परिचय - mahatma gandhi jeevan parichay in hindi
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हिन्दू परिवार में हुआ। पिता करमचंद गांधी और मां पुतलीबाई द्वारा उनका नाम मोहनदास रखा गया, जिससे उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी हुआ। महात्मा गांधी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, अत: उनका पालन वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ और उन पर जैन धर्म का भी गहरा प्रभाव रहा। यही कारण था कि इसके मुख्य सिद्धांतों जैसे- अहिंसा, आत्मशुद्ध‍ि और शाकाहार को उन्होंने अपने जीवन में उतारा था।
 
मोहनदास शिक्षा के दृष्टिकोण से एक औसत दर्जे के विद्यार्थी रहे, लेकिन समय-समय पर उन्होंने पुरस्कार और छात्रवृत्त‍ियां भी मिलीं। वे अंग्रेजी विषय में काफी होनहार थे, लेकिन भूगोल जैसे विषयों में उनका प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहता था। वहीं अंक गणित में वे मध्यम दर्जे के विद्यार्थी रहे और लिखावट के मामले में भी उन्हें अच्छी टिप्पणियां नहीं मिली।
 
हालांकि गांधी जी, अपने माता-पिता की सेवा, घर के कार्यों में मां का हाथ बंटाना, आज्ञा का पालन करना, सैर के लिए जाना, यह सब करते थे लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा के महात्मा गांधी ने अपने जीवन के विद्रोही समय में गुप्त नास्त‍िकवाद को भी अपनाया, धूम्रपान और मांसाहार का सेवन भी किया। लेकिन उसके बाद उन्होंने इन सभी चीजों को जीवन में कभी न दोहराने का दृढ़ निश्चय कर फिर कभी नहीं दोहराया। गांधी जी ने प्रहृलाद और राजा हरिश्चंद्र को आदर्श के रूप में ग्रहण किया। 
 
महात्मा गांधी का विवाह मात्र 13 वर्ष की आयु में ही कर दिया गया था। जब वे स्कूल में पढ़ते थे, तभी पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा माखनजी से उनका विवाह हुआ और मात्र 15 वर्ष की अवस्था में गांधी जी एक पुत्र के पिता बन गए।लेकिन वह पुत्र जीवित न रह सका। इस तरह गांधी जी के कुल चार पुत्र हरिलाल, मनिलाल, रामदास और देवदास हुए। विवाह के पश्चात और स्कूल का जीवन समाप्त होने पर मुंबई के एक कॉलेज में कुछ दिन पढ़ने के बाद वे लंदन चले गए और उनकी आगे की शिक्षा दीक्षा लंदन में हुई। 3 वर्ष की शिक्षा के बाद वे बैरिस्टर बने। 
 
इसके बाद उनके जीवन की असल यात्रा शुरू हुई जो अहिंसा आंदोलन से लेकर उनके राष्ट्रपिता बनने तक, और उनके जीवन पर्यंत चलती रही...।  
 
सन् 1914 में गांधी जी भारत लौट आए। देशवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया और उन्हें महात्मा पुकारना शुरू कर दिया। उन्होंने अगले चार वर्ष भारतीय स्थिति का अध्ययन करने तथा उन लोगों को तैयार करने में बिताए जो सत्याग्रह के द्वारा भारत में प्रचलित सामाजिक व राजनीतिक बुराइयों को हटाने में उनका साथ दे सकें। 
 
फरवरी 1919 में अंग्रेजों के बनाए रॉलेट एक्ट कानून पर, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए जेल भेजने का प्रावधान था, उन्होंने अंग्रेजों का विरोध किया। फिर गांधी जी ने सत्याग्रह आंदोलन की घोषणा कर दी। इसके परिणामस्वरूप एक ऐसा राजनीतिक भूचाल आया, जिसने 1919 के बसंत में समूचे उपमहाद्वीप को झकझोर दिया।
 
इस सफलता से प्रेरणा लेकर महात्‍मा गांधी ने भारतीय स्‍वतंत्रता के लिए किए जाने वाले अन्‍य अभियानों में सत्‍याग्रह और अहिंसा के विरोध जारी रखे, जैसे कि 'असहयोग आंदोलन', 'नागरिक अवज्ञा आंदोलन', 'दांडी यात्रा' तथा 'भारत छोड़ो आंदोलन'। गांधी जी के इन सारे प्रयासों से भारत को 15 अगस्‍त 1947 को स्‍वतंत्रता मिल गई। ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी महात्मा गांधी की 30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। 
 
महात्मा गांधी के पूर्व भी शांति और अहिंसा की के बारे में लोग जानते थे, परंतु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता।उनकी यह यात्रा अहिंसा आंदोलन से लेकर उनके राष्ट्रपिता बनने तक, और उनके जीवन पर्यंत चलती रही...। 
 
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