अपने लिए कुछ मांगने जाने से बेहतर, मैं मरना समझूंगा: शिवराज सिंह चौहान
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को मीडिया से हुई चर्चा में कहा कि अपने लिए कुछ मांगने जाने से बेहतर, मैं मरना समझूंगा। दरअसल मुख्यमंत्री से दिल्ली जाने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि एक बात मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहता हूं, "अपने लिए कुछ मांगने जाने से बेहतर, मैं मरना समझूंगा; वह मेरा काम नहीं है इसलिए मैंने कहा था, मैं दिल्ली नहीं जाऊंगा"। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा मेरा मिशन है। मेरे बारे में फैसला पार्टी करेगी।
मीडिया से चर्चा में शिवराज ने कहा 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में भारी बहुमत से बनी भाजपा सरकार के तिरंगा प्रकरण में उमा भारती के पद छोड़ने के बाद गौर साहब मुख्य मंत्री बने। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि उसके बाद से साढ़े अठारह वर्ष तक भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखा। उन्होंने कहा कि मेरा मिशन चलता रहेगा। मामा का रिश्ता पाया का है। भैया का रिश्ता विश्वास का है, ये रिश्ते मैं टूटने नहीं दूंगा। जनता की सेवा ही मेरे लिये पूजा है।
लाड़ली-बहना ने दिलाया भारी बहुमत-मीडिया से बात करते हुए भावुक होते हुए शिवराज ने कहा, आज मैं यहां से विदाई ले रहा हूं। मेरा मन आत्मसंतुष्टि से भरा हुआ है। केंद्र और राज्य की कल्याणकारी योजनाओं, लाड़ली लक्ष्मी, लाड़ली बहना की बदौलत इस बार फिर सरकार बनी। इस भारी बहुमत वाली सरकार को 48.55% रिकार्ड वोट मिले। लाड़ली-बहना योजना के 6 माह के अंदर बनने और सफलतापूर्वक क्रियान्वित हो जाने की कहानी को केस-स्टडी के तौर पर लिया जाना चाहिए।
इससे पहले लाड़ली बहनों ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा की। इस दौरन महिलाएं शिवराज से लिपटकर फूट-फूट कर रोईं। मुलाकात करने आईं बहनें जब रुंधे गले से बोलीं, कि आप सबके चहेते हो, हम आपको नहीं छोड़ेंगे। बात ये है कि बहनों ने आपको चुना है, हमने आपको चुना है। आप मध्यप्रदेश से कहीं मत जाना।' इस पर भावुक हुए शिवराज बोले, 'मैं भी कहां जा रहा हूं, मैं भी नहीं छोड़ूंगा।'