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Last Updated : बुधवार, 11 दिसंबर 2024 (21:00 IST)

Siyaram Baba : संत सियाराम बाबा पंचतत्व में विलीन, तेली भट्यान में बनेगी समाधि, CM यादव हुए शामिल, कौन होगा उत्तराधिकारी

Siyaram Baba : संत सियाराम बाबा पंचतत्व में विलीन, तेली भट्यान में बनेगी समाधि, CM यादव हुए शामिल, कौन होगा उत्तराधिकारी - saint siyaram baba passed away
saint siyaram baba passed away : निमाड़ के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा पंचतत्व में विलीन हो गए। खरगोन के कसरावद के तेली भट्यान गांव में नर्मदा किनारे उनका अंतिम संस्कार किया गया। साधु-संतों ने उन्हें मुखाग्नि दी। सीएम डॉ. मोहन यादव भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए। लाखों श्रद्धालुओं ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी। डॉ. मोहन यादव ने कहा कि तेली भट्यान ग्राम का नाम ग्रामीणों की सहमति से सियाराम बाबा के नाम पर किया जाएगा तथा यहां एक समाधि भी बनाई जाएगी। बाबा के उत्तराधिकारी के बारे में फिलहाल कुछ तय नहीं हुआ है।
 
3 किलोमीटर लंबी लाइन : मुख्यमंत्री के जाने के उपरांत आज सायं नर्मदा तट स्थित उनके आश्रम में ही उनकी अंत्येष्टि कर दी गई। बाबा के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम आया और करीब 3 किलोमीटर लंबी लाइन लग गई।  94 वर्षीय सियाराम बाबा को कुछ दिन निमोनिया की शिकायत के चलते 10 दिन पूर्व सनावद स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार होने पर बाबा ने तेली भट्यान स्थित अपने आश्रम में जाने की इच्छा प्रकट की थी।
बनेगा धार्मिक पर्यटन स्थल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निमाड़ के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा है कि क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। आज खरगोन जिले के कसरावद तहसील के नर्मदा तट पर बसे ग्राम तेली भट्यान पहुंचे डॉ. यादव ने संत सियाराम बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने मौके पर उपस्थित अपार भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके अलावा ग्रामीणों की सहमति से टेली भट्टयांन ग्राम का नाम सियाराम बाबा के नाम पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आश्रम में सियाराम बाबा की समाधि भी स्थापित की जाएगी।
 
सियाराम बाबा को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय समेत कई नेताओं व संगठनों श्रद्धांजलि दी है। उनके निधन से निमाड़ सहित देश प्रदेश के उन्हें उनके अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई। 
लेते थे सिर्फ 10 रुपए का दान : सेवादारों के मुताबिक हनुमान भक्त बाबा दान स्वरूप ज्यादातर 10 रुपए ही लेते थे और धन राशि को नर्मदा घाटों की मरम्मत व विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के उन्नयन में प्रदान कर देते थे। ज्यादा शिक्षित नहीं होने के बावजूद वह लगातार रामचरितमानस का पाठ करते रहते थे। आने वाले भक्तों को वे आध्यात्मिक मार्गदर्शन देकर सकारात्मक ऊर्जा से ओतप्रोत कर देते थे।
 
उनके बारे में बताया जाता है कि वह इस क्षेत्र में 1955 में करीब 25 वर्ष की आयु में आए थे। इसके बाद 12 वर्ष तक एक पैर पर खड़े रहकर उन्होंने मौन तपस्या की थी। जब उन्होंने मौन तोड़ा तो सबसे पहला शब्द 'सियाराम' उच्चारित किया इसके चलते उनका नाम सियाराम बाबा पड़ गया। सभी मौसमों में लंगोट ही धारण करने वाले सियाराम बाबा अपना सभी काम खुद ही करते थे और भोजन भी स्वयं पकाते थे।  Edited by : Sudhir Sharma