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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: गुरुवार, 22 सितम्बर 2022 (13:29 IST)

लंपी वायरस मध्यप्रदेश में तेजी से पैर पसार रहा, बोले CM शिवराज, पशुपालकों से सावधानी बरतने की अपील

लंपी वायरस मध्यप्रदेश में तेजी से पैर पसार रहा, बोले CM शिवराज, पशुपालकों से सावधानी बरतने की अपील - Lumpy virus spreading rapidly in Madhya Pradesh
भोपाल। मध्यप्रदेश में लंपी वायरस के बढ़ते मामलों के बाद आडज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के गौपालकों और पशुपालकों के नाम अपना संदेश जारी किया है। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि पशुधन पर लंपी वायरस के रूप में एक गंभीर संकट आय़ा है। लंपी वायरस मध्यप्रदेश में तेजी से पैर पसार रहा है। ऐसे में गौमाता को संकट से निकालने के लिए सरकार पूरी तरह साथ है। लंपी वायरस का टीका सरकार मुफ्त में लगा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि लंपी वायरस से बचाने के लिए सावधानी बरतनी होगी।
वैक्सीनेशन अभियान में जुटा BJP संगठन-लंपी वायरस से सबसे अधिक प्रभावित खंडवा जिले में गौवंश को संक्रमण से बचाने के लिए भाजपा कार्यकर्ता मैदान में उतर आए है। भाजपा किसान मोर्चा के सदस्य गांव-गांव जाकर गौपालकों से गौवंश के वैक्सीनेशन की अपील कर रहे है। आज खंडवा पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि सरकार लंपी वायरस से गौ वंश को बचाने के लिए फ्री वैक्सीनेशन करवा रही है। भाजपा और भाजपा किसान मोर्चा के कार्यकर्ता गौ माता की रक्षा के लिए गांव-गांव जाकर वैक्सीनेशन के काम में सहयोग कर रहे है। खंडवा की गणेश गौशाला पहुंचे भाजपा अध्यक्ष ने गौ माता का पूजन किया। भाजपा अध्य़क्ष ने बताया कि गणेश गौशाल की सभी 450 गायों का वैक्सीनेशन हो चुका है। इसके साथ गौशाला के लोग गांव-गांव जाकर वैक्सीनेशन के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।  

लंपी वायरस के प्रमुख लक्षण बताए
-संक्रमित पशु को हल्का बुखार होना।
-मुँह से अत्यधिक लार तथा आंखों एवं नाक से पानी बहना।
-लिंफ नोड्स तथा पैरों में सूजन एवं दुग्ध उत्पादन में गिरावट।
-गर्भित पशुओं में गर्भपात एवं कभी-कभी पशु की मृत्यु होना।
-पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में 02 से 05 सेंटीमीटर आकार की गठानें बन जाना।

लंपी वायरस के रोकथाम और बचाव के उपाय
-संक्रमित पशु / पशुओं के झुण्ड को स्वस्थ पशुओं से पृथक रखना।
-कीटनाशक और विषाणु नाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किलनी, मक्खी, मच्छर आदि को नष्ट करना।
-पशुओं के आवास- बाड़े की साफ सफाई रखना।
-संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को रोका जाना
-रोग के लक्षण दिखाई देने पर अविलंब पशु चिकित्सक से उपचार कराना।
-क्षेत्र में बीमारी का प्रकोप थमने तक पशुओं के बाजार, मेले आयोजन तथा पशुओं के क्रय-विक्रय आदि को रोकना।
-स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना।
 
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