लोकसभा चुनाव से पहले मंदसौर पर फिर सियासी घमासान, डैमेज कंट्रोल के लिए खुद आगे आए सीएम कमलनाथ
भोपाल। मध्यप्रदेश में 15 साल बाद बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के लिए और विधानसभा चुनाव में जीत की राह तलाशने के लिए कांग्रेस ने जिस मंदसौर गोलीकांड पर अपनी जीत की पटकथा तैयार की थी। उसी मंदसौर गोलीकांड को लेकर एक बार फिर सूबे की सियासत में घमासान मचा हुआ है।
मंदसौर गोलीकांड को लेकर गृहमंत्री बाला बच्चन ने विधानसभा में कांग्रेस विधायक हर्ष विजय गहलोत के प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि पिपल्यामंडी में छह जून 2017 को किसान आंदोलन के समय पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी, जिसमें छह किसानों की मौत हो गई थी।
गृहमंत्री के इस लिखित जवाब के बाद मंदसौर गोलीकांड को लेकर पूरी कांग्रेस सरकार और संगठन बैकफुट पर आ गए हैं। गृहमंत्री के इस जवाब का विरोध करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने गृहमंत्री को फटकार लगाई है।
दिग्विजय सिंह की फटकार के बाद खुद गृहमंत्री बाला बच्चन सफाई देने के लिए मीडिया के समाने आए और कहा कि जो उन्होंने जो जवाब दिया है वो पिछली सरकार के समय बनी रिपोर्ट के आधार पर कहा है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच जारी है और जो भी दोषी है उसको बख्शा नहीं जाएगा।
इस बीच बीजेपी ने पूरे मुद्दें पर सरकार को घेर लिया। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने सत्ता हासिल करने के लिए किसानों को मोहरा बनाया और सत्ता हासिल करने के लिए किसानों से झूठ बोला, वहीं कांग्रेस के अंदर भी बाला बच्चन के बयान को लेकर कई विरोध के स्वर उठते हुए दिखाई दिए।
मंदसौर गोलीकांड में मारे गए अभिषेक के परिजन ने भी नए सिरे से पूरे मामले की जांच की मांग की। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को लेकर हो रहे डैमेज कंट्रोल के लिए खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ आगे आए।
कमलनाथ ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ना हम मंदसौर में किसान भाइयों पर हुए गोलीकांड के दोषियों को बख्शेंगे, ना हम पौधारोपण घोटाले के दोषियों को छोड़ेंगे और ना सिहंस्थ में हुई आर्थिक अनियमित्ताओ के दोषियों को। चाहे पीड़ित किसान भाइयों को न्याय दिलवाना हो या घोटाला करने वालों को सज़ा दिलवाना, यह हमारा संकल्प है।
भले ही मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया हो कि कांग्रेस सरकार मंदसौर के पीड़ित किसानों को न्याय दिलवाने में पीछे नहीं रहेगी लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को कांग्रेस सरकार को घेरने का एक मुद्दा जरूर मिल गया है। जिसकी झलक विधानसभा के बजट सत्र के बाकी बचे दो दिनों में दिखाई देगी।