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Last Modified: सोमवार, 18 नवंबर 2024 (11:38 IST)

12वीं व 4वीं पास पास साइबर ठगों ने 2 हजार फर्जी बैंक खातों से कमाएं 2 करोड़,आधार कार्ड का किया मिसयूज

12वीं व 4वीं पास पास साइबर ठगों ने 2 हजार फर्जी बैंक खातों से कमाएं 2 करोड़,आधार कार्ड का किया मिसयूज - Interstate cyber frauds exposed in Bhopal
भोपाल। राजधानी भोपाल में पुलिस साइबर ठगों की एक अंतर्राज्यीय गैंग का पर्दाफाश किया है। भोपाल पुलिस की बिहार के रहने वाले सात आरोपियों को राजधानी एक इब्राहिमपुरा से गिरफ्तारर किया है जहां आऱोपी किराए के मकान में फर्जी कॉल सेंटर के साथ साइबर ठगी की वारदात को अंजाम दे रहे थे। सभी आरोपी फर्जी आधार और पैन कार्ड के सहारे सिम लेकर बैंकों में फर्जी खाता खोलकर इसके साइबर ठगरों को बेचते थे।   

कैसे करते थे धोखाधड़ी?- पूरे गिरोह का मुख्य मास्टरमाइंज शशिकांत देवघर झारखंड से आधार कार्ड का डाटा लेता था। इसके बाद ऐसे आधार कार्ड का पता करता था जिनका पैन कार्ड नहीं बना होता है। इसके बाद वह पैनकार्ड ऑफलाइन बनवाता था। इसके बाद कॉल सेंटर में उन आधार कार्ड में गिरोह के सदस्यों सपना, अंकित, कौशल, रोशन, रंजन एवं टीटू की उम्र के आधार पर फोटोशॉप के माध्यम से फोटो लगा देता था। इसके बाद कलर प्रिंटर के माध्यम से फर्जी तरीके से आधार और पैन कार्ड प्रिंट कर लिए जाते थे।

फर्जी तरीके से तैयार आधार और पैन कार्ड पर गिरोह के साथियों के फोटो लगाकर भोपाल शहर के अलग-अलग दुकानों से सिमकार्ड को लेते थे। इसके बाद गिरोह के सदस्य बैंकों जाकर फर्जी बैंक खाता खुलवाते थे। गिरोह का मुख्य सरगना शशिकांत फर्जी खाता खुलवाने के लिए प्रति खाता 2 हजार रुपए देता था। फिर इन बैंक खातों को साइबर ठगों को 10 हजार रुपए प्रति खात के हिसाब से बेच देता था। साइबर ठग इन बैंक खातों का उपयोग ठगी की वारदात में करते थे।  

गिरोह के सदस्य इतने शातिर थे कि वह तीन-चार महीने में शहर बदल देते थे। सभी आरोपी पिछले एक महीने से राजधानी भोपाल को अपना अड्डा बनाया था। पुलिस से बचने के लिए आरोपी तीन-चार महीने में शहर और लड़कों को बदल देते थे। डीसीपी जोन- तीन रियाज इकबाल ने बताया कि गिरोह ने एक महीने पहले इब्राहिमगंज में खुद को कपड़ा व्यापारी बताकर फ्लैट किराए पर लिया था।

कैसे हुआ खुलासा?-साइबर ठगों का खुलासा उस वक्त हुआ जब गिरोह में शामिल एक लड़का और एक लड़की फर्जी आधार कार्ड पर एक ही दुकान पर कई बार सिम कार्ड लेने पहुंचे।  हर बार लड़का और लड़की वहीं होते थे और आधार कार्ड पर उनकी ही फोटो होती थे लेकिन उनके आधार कार्ड का पता बदला होता था। भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि चार दिन पहले एक युवक-युवती मोबाइल की दुकान पर सिम लेने पहुंचे थे। मोबाइल दुकान पर पहुंचे लड़का-लड़की अलग-अलग व्यक्तियों के अलग-अलग नाम पते के आधारकार्ड लेकर सिम लेने आए थे, इसकी सूचना मुखिबरों ने पुलिस को दी थी। पुलिस ने इनके पास से बड़ी संख्या में आधार कार्ड, एटीएम कार्ड, पैन कार्ड, सिम कार्ड, 20 मोबाइल फोन, दो प्रिंटर, एक लैपटाप, एक पेनड्राइव और हिसाब-किताब का रजिस्टर बरामद किया है।

निशाने पर कौन?-आऱोपी अब तक लखनऊ, इंदौर, हैदराबाद में फर्जी बैंक खाते खुलवाकर कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। पुलिस पूछताछ में मुख्य आरोपी शंशिकात ने बताया कि वह नाबलिग लड़के-लड़कियों के आधार कार्ड हासिल करता था। आरोपी  पिछले 2 साल में 2 हजार से अधिक बैंक खाते खुलवाकर उन्हें 10 हजार रुपए प्रति  खाता बेचकर अब तक 2 करोड़ से अधिक रूपए कमा चुके है। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया था जिन आधार कार्ड पर वह ठगी की पूरी वारदात को अंजाम देते थे, वह आधार कार्ड झारखंड के है और वहां का एक डकिया गिरोह को यह आधार कार्ड उपलब्ध कराता था।

12वीं से 4वीं पास गिरोह के सदस्य- बेहत शतिराना तरीके से पूरे गिरोह का चलाने वावा मुख्य सरगना शशिकांत 12वीं पास है। इसके साथ गिरोह के अन्य सपना और अंकित कुमार साहू भी 12वीं पास है। वहीं कौशल माली, रोशन 10 वीं पास और रंजन कुमार और मोहम्मट टीटू चौथी पास है। गिरोह का मुख्य सरगना शशिकांत फर्जी आधार और पेन कार्ड तैयार कर इनके आधार पर खुले खातों को आगे बेचने का काम करता था। मुख्य आरोपी शशिकांत देश के कई राज्यों के साइबर ठगों के संपर्क में था। वहं गिरोह के अन्य सदस्य सपना, अनिल, कौशल, रंजन फर्जी आधार और पैन कार्ड पर सिमकार्ड लेने के साथ बैंक में खाता खुलवाने का काम करते थे।
 
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