इंदौर को लगी बुरी नजर...इन्द्र देवता ने दिखाया रौद्र रूप
इंदौर। जब से देवी अहिल्याबाई होलकर के शहर इंदौर को स्वच्छता के मामले में पूरे देश में पहला स्थान हासिल हुआ है, तब से सभी दूर शहर के चर्चे हैं। अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्री इंदौर की सफाई व्यवस्था को देखने के लिए अपने मंत्रियों को भेजने का फैसला कर चुके हैं। इसी बीच सोमवार को देर शाम एक ऐसी प्राकृतिक आपदा आ गई, जिसके बाद लोगों की जुबां पर यही लफ्ज हैं.. 'लगता है इंदौर को किसी की बुरी नजर लग गई है..'। यहां पर इन्द्र देवता ने जो रौद्र रूप दिखाया, उसने पिछले साल उज्जैन के सिंहस्थ में आई तूफानी बारिश की यादें ताजा कर दीं।
ग्रीष्म के दिनों में 'रोहिणी नक्षत्र' आता है और माना जाता है कि 'नवतपा' के बाद रोहिणी गलती है और अच्छी बारिश होती है...25 मई से नवतपा शुरू हुआ वह जून के प्रथम सप्ताह में खत्म भी हो गया लेकिन बीच में ऐसा भी वक्त देखा गया, जब नवतपा के बीच रोहिणी गलकर बरस पड़ी..तभी से लगने लगा था कि इंदौर पर 'ग्रहण' लग गया है। नवतपे में बारिश आने को बुरा माना जाता है...
सोमवार से पहले शनिवार की आधी रात को भी बारिश हुई परंतु उस समय लोग घरों में थे, लेकिन आज दशहरा मैदान पर जिस तरह का तूफान का सैलाब आया, उसने इन्द्र देवता के रौद्र रूप के प्रत्यक्ष दर्शन कर लिए। इंदौर नगर निगम ने 'प्रणाम इंदौर' का कार्यक्रम इसलिए रखा था, ताकि वह उन सफाईकर्मियों का सम्मान कर सके, जिनकी बदौलत इंदौर शहर स्वच्छता के मामले में देश में अव्वल आया है।
यह कार्यक्रम पहले भी दो बार स्थगित किया गया है, क्योंकि अतिथियों की तारीखें नहीं मिली थीं। शारीरिक श्रम और रुपयों की बरबादी हुई सो अलग..इस बार सभी की सहमति से 5 जून की तारीख तय की गई, मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू, लोकसभा स्पीकर श्रीमती सुमित्रा महाजन और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंचासीन हुए।
दशहरा मैदान पर जब सभी वीआईपी आ चुके थे, तभी लगा कि आसमान फट पड़ा है..तूफानी बारिश ने सब तहस-नहस कर डाला। हवा के तेज रुख से डोम डोलने लगा। लोहे से बना यह मजबूत डोम जब हिलने लगता तो संभावित आशंका को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तत्काल बिजली काटने के आदेश दिए। बिजली कटने के बाद यह डोम भरभराकर गिर गया। यदि समय रहते बिजली नहीं काटी जाती तो करंट फैलने से कई लोगों की जान जा सकती थी।
इस हादसे के बाद आधे घंटे तक मुख्यमंत्री चौहान घटनास्थल पर ही रहे और बचाव कार्य के निर्देश देते रहे। बाद में वे यूनिक अस्पताल भी गए जहां 15 से 20 लोग भर्ती थे। 6 हजार लोगों के लिए दशहरा मैदान पर भोजन की व्यवस्था की गई थी लेकिन घनघोर बारिश में भोजन सामग्री भीग गई। बारिश ने जो तबाही मचाई, उस मंजर को याद करके लोग सिहर उठते हैं। (वेबदुनिया न्यूज)