भारत में ऑनलाइन गैंबलिंग का गेम ओवर!, गेमिंग कंपनियों को सरकार की चेतावनी
केस-1-भोपाल में मेडिकल स्टोर संचालक 44 वर्षीय अनुज (परिवर्तित नाम) ऑनलाइन गैंबलिंग (जुएं) में 10 साल में 50 लाख रुपए हार चुके है। वह अब अपना नुकसान भुलाने के लिए शराब का सहारा ले रहे है।
केस-2-दमोह में लकड़ी का व्यवसाय करने वाले राहुल जिन्हें ऑनलाइन जुएं में छह लाख रुपए का नुकसान हुआ,वह अब पैथोलाजिकल गैंबलिंग डिसऑर्डर से पीड़ित है और भोपाल के एक निजी हॉस्पिटल में इलाज करा रहे है।
ऑनलाइन गैंबलिंग के बढ़ते चलन और उसके समाज पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को इन दो केसों के जरिए आसानी से समझा जा सकता है। आज विभिन्न प्लेटफॉर्म के जरिए ऑनलाइन खेलों के माध्यम से युवाओं को ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए आकर्षित किया जा रहा है। इसके लिए इजी पेमेंट गेटवे की मदद ली जा रही है जिसमें कुछ रूपए का ऑफर देकर किसी खास वेबसाइट को देखने तक का ऑफर दिया जा रहा है।
ऑनलाइन गेम्स की चपेट में सबसे अधिक युवा है। आज जब ऑनलाइन गैंबलिंग के एप्स को डाउनलोड करना और उसका उपयोग करना बहुत आसान है तब युवा इस ओर तेजी से आकर्षित हो रहे है। देश में इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल ने पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग में काफी इजाफा किया है।
मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि ऑनलाइन गैंबलिंग के शिकार सबसे अधिक युवा है। वह कहते हैं कि ऑनलाइन गैंबलिंग एक ऐसा जाल है जिसके कुचक्र में फंसने के बाद व्यक्ति को बाहर आने में काफी मुश्किल होती है। वह कहते हैं ऑनलाइन गैंबलिंग का जिस तरह से प्रचार-प्रसार किया जाता है उससे युवा प्रभावित होते है और उनमें एक आर्कषण पैदा होता है। छोटे पेंमेट गेटवे होने से युवा इससे आसानी से जुड़ जाते है और फिर वह इसकी लत में फंस जाते है। ऑनलाइन गेटवे होने से युवा तेजी से एडिक्ट हो रहे है।
ऑनलाइन गैंबलिंग का गेम ओवर-ऑनलाइन गेमिंग में गेम ऑफ चांस के खेल भी शामिल हैं जिन्हें जुएं के समान माना जाता है इसे ही ऑनलाइन गैंबलिंग कहा जाता है। ऑनलाइन गैंबलिंग के बढ़ते मामलों के बाद अब केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग में सट्टेबाजी और दांव लगाने से संबंधित किसी भी गेम को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया हैं। इसके साथ सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों से जुड़े कई एसआरओ बनाने की बात कही है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के मुताबिक हम एक ऐसा ढांचा खड़ा कर रहे हैं जो यह तय करेगा कि किस ऑनलाइन गेम को एसआरओ की तरफ से अनुमति दी जा सकती है।
ऑनलाइन गेम को मंजूरी देने का फैसला इस बात को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा कि उस गेम में किसी तरह से दांव या बाजी लगाने की प्रवृत्ति तो शामिल नहीं है। अगर एसआरओ को यह पता चलता है कि किसी ऑनलाइन गेम में दांव लगाया जाता है तो वह उसे मंजूरी नहीं देगा। जुएं की लत और इससे जुड़ी बढ़ती आत्महत्याओं की घटना के बाद केंद्र सरकार के साथ-साथ मध्यप्रदेश सरकार सार्वजनिक जुआ अधिनियम को बदल कर एक नए कानून का मसौदा तैयार कर रही है।
वहीं मध्यप्रदेश में जल्द ही ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून के अस्तित्व में आने की संभावना है। प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कह चुके है कि ऑनलाइन गैंबलिंग पर प्रतिबंध लगाने के साथ ऑनलाइन गेम्स के नियमन को लेकर एक रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाए जाने के लिए प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ऑनलाइन गैंबलिंग व गेम्स के लिए बनाए जाने वाले कानून के प्रारूप को गृह विभाग ने अंतिम रूप दे दिया है। अब यह कानून के दायरे मे आ जाएगा। नए कानून के लिए सरकार जुआ एक्ट में संशोधन करने के साथ एक रेगुलेटरी बॉडी बनाने पर विचार कर रही है।
डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि ऑनलाइन गेमिंग में सट्टेबाजी और दांव लगाने से जुड़े गेम को बैन करने की पहल काफी अच्छी है लेकिन इस पालन काफी अनुशासित तरीके से करवाया जाना चाहिए।
ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैंबलिंग में क्या है अंतर?-ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैम्बलिंग में बहुत बारीक अंतर है। कानून के मुताबिक गेमिंग और गैम्बलिंग में अंतर केवल स्किल को लेकर है। कानून के नजरिए से ऐसे ऑनलाइन गेम जिन्हें खेलने के लिए स्किल य़ानि कौशल की जरुरत होती है उसे ऑनलाइन गेमिंग के दायरे में लाया जाता है और ऐसे ऑनलाइन गेम स्किल की जरूरत नहीं होती उसे गैम्बलिंग एक्टिविटी माना जाता है। इन्हें गेम्स गेम ऑफ चांस की श्रेणी में रखा जाता है।
अब तक भारत में ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैंबलिंग के एप्स को अलग-अलग नहीं बांटा गया है। सरकार ने अब पहल कर ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को नियमों में कोताही नहीं बरने के चेतावनी दी है। दरअसल भारत में आजादी से पहले बनाए गए पब्लिक गैंबलिंग एक्ट 1867 में पब्लिक गैंबलिंग पर रोक लगाने के साथ कड़ी सजा का प्रावधान है,लेकिन ऑनलाइन गैंबलिंग पर इसके प्रावधान लागू नहीं होते। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि अधिकांश ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल जिनमें सट्टेबाजी या गैंबलिंग शामिल है, वो अपने इस प्रोडेक्ट को 'चांस' की बजाय 'गेम ऑफ स्किल' के तौर पर प्रमोट करते हैं।