टल गया कारम बांध पर मंडराया खतरा, मुख्यमंत्री शिवराज बोले- गांववाले घरों में लौटकर मनाएं आजादी का अमृत महोत्सव
धार। Dhar Dam News : कारम नदी पर निर्माणाधीन कारम सिंचाई परियोजना के डैम से जलरिसाव के कारण 3 दिन पहले उपजा संकट युद्धस्तर पर तैयार की गई 'पैरेलल चैनल' की सहायता से अतिरिक्त पानी की निकासी के साथ ही आज रात टल गया। अब इस संकट की चपेट में आने की आशंका वाले 18 गांव के निवासियों के साथ ही राज्य सरकार ने भी राहत की सांस ली है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि खाली कराए गए 18 गांव के लोग प्रशासन के साथ अब अपने घरों में जा सकते हैं और आजादी का अमृत महोत्सव अपने गांव अपने घरों में मनाएं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रात्रि में एक बयान के जरिए यह घोषणा करते हुए कहा कि 'आपदा प्रबंधन का उत्तम उदाहरण है कारम बांध के लीकेज से उपजी हुई परिस्थितियों से निपटना। इसके लिए मैं पूरी टीम को बधाई देता हूं।
चौहान ने कहा कि परसों से हम जिस अभियान में लगे थे, आज उसका तीसरा दिन था। हमारी पूरी टीम का यह प्रयास था कि इस संकट से हम लोगों और उनकी जिंदगी को बचा पाएं और हम यह करने में कामयाब रहे।
इस बीच राज्य के अपर मुख्य सचिव (गृह) डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि कारम डेम के क्षतिग्रस्त होने की आपदा के प्रबंधन के चलते अब कारम डैम में ''डैड स्टोरेज'' तक ही पानी शेष है। ''बाईपास टनल'' में पानी का डिस्चार्ज नगण्य है। डाउनस्ट्रीम पर कारम नदी का जलस्तर सामान्य स्तर की तरफ तेजी से लौट रहा है।
रात्रि में साढ़े आठ बजे आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात भी प्रारंभ कर दिया गया है। किसी भी प्रकार की जनहानि और पशुहानि की सूचना नहीं है। डॉ. राजौरा ने बताया कि सुरक्षा का आकलन करने के बाद धार और खरगोन जिले के प्रशासन ने 18 गांवों के लगभग 14 हजार ग्रामीणों को अपने अपने घर जाने की अनुमति दे दी है।
हालाकि ग्रामीणजनों की सुविधा के लिए दोनों जिलों में राहत शिविर कल भी चलेंगे। आपदा प्रबंधन के दौरान सेना के जवानों और विशेषज्ञों, वायुसेना के हेलीकॉप्टर और एनडीआरएफ की टीमों की मदद भी ली गई।
इसके पहले डैम से पानी निकासी का कार्य कल देर रात से जारी था और यह कार्य आज पूरा हो गया। इसके साथ ही डैम फूटने का खतरा समाप्त हो गया। तीन दिन पहले डैम की दीवार के हिस्से से जलरिसाव की घटना के बाद से प्रशासन ने तकनीकी विशेषज्ञों और सेना की तैनाती के बीच पैरेलल चैनल तैयार की।
इससे देर रात जलनिकासी का कार्य प्रारंभ हो गया है। ऐसा करने का उद्देश्य यह था कि बांध पर जल का दबाव कम किया जा सके, जिससे क्षतिग्रस्त दीवार को और अधिक नुकसान नहीं हो।
इस बीच धार जिले के 12 और खरगोन जिले के 6 गांव खाली करा लिए गए थे और पुलिस प्रशासन तथा सेना के अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों को तैनात किया गया था। मुख्यमंत्री चौहान कल से लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए थे और वे आज भी निवास कार्यालय और राज्य नियंत्रण कक्ष से स्थिति पर लगातार नजर रखते रहे।
300 करोड़ रुपयों से अधिक की लागत वाली इस परियोजना का कार्य पिछले तीन चार वर्षों से चल रहा है और यह अब भी जारी है। बांध में इस बार बारिश में पहली बार पानी भरने की सूचना है और इसके बाद ही ये भयावह हालात बन गए थे।